डीएनए हिन्दी: बड़ी अदालतों में जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच खींचतान देखने को मिल रही है. खबर है कि कानून मंत्रालय ने पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) द्वारा भेजे गए 20 नामों को वापस कर दिया है. इसमें से 9 नाम ऐसे हैं जिन्हें सु्प्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दोबारा भेजा था.
ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम अगर जजों के नामों की दोबारा सिफारिश करता है तो सरकार उन्हें अप्वॉइंट करने के लिए बाध्य है. हालांकि, पहले भी ऐसे कई उदाहरण मिले हैं जब सरकार ने फाइलों को वापस किया है या उसे लंबित रखा है.
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, इनमें एक नाम सौरभ कृपाल (Saurabh Kirpal) का भी है. सौरभ कृपाल सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायधीश बीएन कृपाल के बेटे हैं. पहली बार दिल्ली हाई कोर्ट कॉलेजियम ने 2017 में जज के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी.
गौरतलब है कि सौरभ कृपाल समलैंगिक हैं. उन्होंने सार्वजनिक रूप से इसे स्वीकार भी किया है. माना जा रहा है कि उनके खिलाफ सरकार की आपत्ति का यह भी एक कारण हो सकता है. हालांकि, न तो सरकार की तरफ से न ही कॉलिजियम की तरफ कारणों को सार्वजनिक किया गया है. यह अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि सौरभ कृपाल के पार्टनर जो कि एक दूतावास में काम करते हैं, उसी की वजह सरकार ने इनके नाम पर आपत्ति दर्ज की है. उनके पार्टनर का नाम तो जाहिर नहीं किया गया है लेकिन यह कहा जा रहा है कि वह विदेशी हैं. ऐसा माना जा रहा है कि उनके नाम को वापस करने पीछे का यह भी एक कारण हो सकता है.
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सरकार ने 'गे' पर जताई आपत्ति, कॉलेजियम के 20 नामों को वापस भेजा