डीएनए हिंदी: इस साल देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. इसे लेकर हर तरफ तरह-तरह की तैयारियां की चल रही हैं. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी इस अवसर को खास बनाने के लिए एक सलाह दी है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस साल स्वतंत्रता दिवस पर कुछ अलग हटकर किया जाना चाहिए. इसमें अदालतों में आपराधिक मामलों के बोझ को कम करने के लिए कुछ खास कदम उठाना काफी अहम साबित हो सकता है.
जस्टिस संजय किशन कौल और एमएम सुंदरेश की पीठ लंबे समय से आपराधिक मामलों में लंबित अपीलों से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही है. ऐसे में उन्होंने कहा कि यदि अदालत 10 साल के भीतर भी किसी मामले पर फैसला नहीं कर सकती है तो आदर्श रूप से उस कैदी को जमानत पर छोड़ दिया जाना चाहिए. पीठ ने कहा कि सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है. यह बिलकुल सही समय है जब विचाराधीन और उन कैदियों को जमानत पर रिहा करने के बारे में सोचा जाए जिन्होंने अपनी सजा का एक बड़ा हिस्सा काट लिया है.
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पीठ के अनुसार, केंद्र को एक नीति विकसित करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बातचीत करनी चाहिए, जहां कुछ श्रेणियों के तहत विचाराधीन और दोषियों को अच्छे आचरण के आधार पर एक निश्चित अवधि के बाद रिहा किया जा सकता है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते दोषी कैदियों की जमानत याचिकाओं पर उनकी अपील लंबित होने की सुनवाई में लंबी देरी पर नाराजगी जताई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर हाईकोर्ट को इन पर कार्रवाई करना मुश्किल लगता है तो वह 'अतिरिक्त बोझ उठाने' और याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में सुनने के लिए तैयार है. जानकारी के मुताबिक, 853 लंबित आपराधिक अपीलें ऐसी थीं जहां याचिकाकर्ताओं ने 10 साल से ज्यादा जेल में बिताए.
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SC ने कहा- लंबे समय से सजा काट रहे कैदियों को दी जाए जमानत, अब क्या फैसला लेगी सरकार