SC On Child Marriage: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि बाल विवाह (प्रतिबंध) अधिनियम को किसी भी व्यक्तिगत कानून के तहत परंपराओं से बाधित नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने यह भी कहा कि बच्चों से संबंधित विवाह उनके जीवन साथी चुनने के अधिकार का उल्लंघन करते हैं. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने बाल विवाह के खिलाफ कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए कानून को व्यक्तिगत कानूनों से प्रभावित नहीं किया जा सकता.

कोर्ट ने बताया कि ऐसे विवाह नाबालिगों की स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं. दरअसल, एक एनजीओ द्वारा याचिका दायर की गई थी जिसमें यह बताया गया था कि बाल विवाह निषेध अधिनियम का सही से पालन नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण लगातार बाल विवाह में बढ़ोतरी देखी जा रही है. पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि अधिकारियों को बाल विवाह की रोकथाम और नाबालिगों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. कोर्ट ने आगे कहा कि इन मामलों में किसी को दंडित करना आखिरी विकल्प होना चाहिए. बता दें जुलाई महीने में इस याचिका की सुनवाई पूरी हो गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला रिजर्व रख लिया था.

यह भी पढ़ें : Supreme Court: पिता ने गर्भवती बेटी का किया था कत्ल, SC ने माफ की मौत की सजा, जानें वजह

स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन
इसके साथ ही, पीठ ने बाल विवाह (प्रतिबंध) अधिनियम, 2006 में कुछ खामियों की ओर भी इशारा किया. यह अधिनियम 1929 के बाल विवाह रोकथाम अधिनियम का स्थान लेता है, जिसका उद्देश्य बाल विवाह को रोकना और इसे समाज से समाप्त करना है. इस निर्णय के बाद, बाल विवाह पर नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि माता-पिता द्वारा नाबालिग बेटियों या बेटों के लिए सगाई करना उनकी स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन है. बताते चलें कि इस पूरे मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया था कि वह राज्यों से बात करे और उनसे पूछे कि बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं.

जागरूकता पर ध्यान देना आवश्यक
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, दंड और अभियोजन के बजाय निषेध और रोकथाम पर जोर दिया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि जागरूकता अभियान और वित्तीय सहायता जैसे उपायों पर ध्यान देना आवश्यक है, जिससे बाल विवाह को रोकने में मदद मिल सके. पीठ ने अपने नए दिशा-निर्देश में कहा है कि देश भर में बाल विवाह को रोकने के लिए इससे जुड़े सभी विभागों को ट्रेनिंग देने की जरूरत है. कोर्ट ने आगे कहा कि निश्चित तौर पर बाल विवाह के कारण उन्हें अपनी जीवन साथी चुनने का अधिकार छिन जाता है.

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में बाल विवाह के खिलाफ एक बड़ा बदलाव लाने की क्षमता भी रखता है. यह निर्णय बच्चों के अधिकारों और उनकी भलाई के लिए किए गए प्रयासों को समर्थन देता है और समाज को भी जागरूक होने की आवश्यकता है, ताकि सभी बच्चों को सुरक्षित और स्वतंत्र जीवन जीने का अवसर मिल सके.

ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.

Url Title
sc issue new guidelines on child marriage act affect choose to life partner cji chnadrachud
Short Title
Child Marriage: 'छिन जाता है लाइफ पार्टनर चुनने का अधिकार', बाल विवाह को लेकर SC
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Supreme Court
Caption

Supreme Court

Date updated
Date published
Home Title

Child Marriage: 'छिन जाता है लाइफ पार्टनर चुनने का अधिकार', बाल विवाह को लेकर SC का बड़ा फैसला, जारी हुआ नया दिशा-निर्देश 

Word Count
603
Author Type
Author