डीएनए हिंदी: समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने के मामले में एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई है. याचिका में सर्वोच्च अदालत से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने 17 अक्टूबर को समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि इस पर कानून बनाने का अधिकार अदालत नहीं, बल्कि संसद का है.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी के इन अभ्यावेदनों का संज्ञान लिया कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का अनुरोध कर रहे लोगों की समस्याओं के निपटारे के लिए खुली अदालत में सुनवाई की आवश्यकता है. चीफ जस्टिस ने कहा, ‘मैंने (पुनरीक्षण) याचिका की अभी समीक्षा नहीं की है. मुझे इसे (उस संविधान पीठ के न्यायाधीशों में) वितरित करने दीजिए.’
ये भी पढ़ें- DeepFake की वजह से बॉलीवुड सितारे परेशान, सरकार ने अब उठाया कड़ा कदम
मुकुल रोहतगी ने कहा कि संविधान पीठ के सभी न्यायाधीशों का विचार है कि समलैंगिक व्यक्तियों के साथ भेदभाव होता है और इसलिए उन्हें भी राहत की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के पंजीयन के अनुसार, पुनरीक्षण याचिका 28 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है. एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के 17 अक्टूबर के फैसले की समीक्षा का अनुरोध करते हुए नवंबर के पहले सप्ताह में याचिका दायर की थी.
ये भी पढ़ें- 'पनौती' बयान पर घमासान जारी, बीजेपी ने इंदिरा और राजीव को भी घसीटा
चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर 4 अलग-अलग फैसले सुनाए थे. सभी पांचों न्यायाधीशों ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से सर्वसम्मति से इनकार कर दिया था और कहा था कि इस बारे में कानून बनाने का काम संसद का है. शीर्ष अदालत ने दो के मुकाबले तीन के बहुमत से यह फैसला दिया था कि समलैंगिक जोड़ों को बच्चे गोद लेने का अधिकार नहीं है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट में फिर होगी सुनवाई, जानें अब क्या रखी गई मांग