डीएनए हिंदी: समलैंगिकों के विवाह को मान्यता के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. इस मामले पर अब केंद्र सरकार ने एक नया दांव खेला है. केंद्र सरकार इस तरह के विवाहों को मान्यता देने के पक्ष में है. ऐसे में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि इस याचिका पर सुनवाई में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी शामिल किया जाए. इसके पीछे का तर्क यह है कि इस मामले पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की राय भी जरूरी है. 

सुप्रीम कोर्ट में दायर एफिडेविट में केंद्र सरकार ने कहा कि उसने 18 अप्रैल को सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर इन याचिकाओं में उठाए गए मौलिक मुद्दों पर उनकी टिप्पणियां और राय आमंत्रित की हैं. केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच से आग्रह किया कि राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को सुनवाई में पक्ष बनाया जाए.

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केंद्र ने अपनी एफिडेविट में रखी दलील
इस मामले की सुनवाई कर रही बेंच में जस्टिस एस के कौल, जस्टिस एस आर भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी एस नरसिम्हा भी शामिल हैं. इस बेंच ने समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर बुधवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई की. केंद्र की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है, 'विनम्रतापूर्वक अनुरोध किया जाता है कि सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को मौजूदा कार्यवाही में पक्षकार बनाया जाए, उनके संबंधित रुख को रिकॉर्ड में लिया जाए और भारत संघ को राज्यों के साथ परामर्श प्रक्रिया को समाप्त करने, उनके विचार/आशंकाएं प्राप्त करने, उन्हें संकलित करने और इस अदालत के समक्ष रिकॉर्ड पर रखने की अनुमति दी जाए, और उसके बाद ही वर्तमान मुद्दे पर कोई निर्णय लिया जाए.' 

केंद्र सरकार के हलफनामे में कहा गया है, 'यह सूचित किया जाता है कि भारत संघ ने 18 अप्रैल 2023 को सभी राज्यों को पत्र जारी कर याचिकाओं में उठाए गए मौलिक मुद्दों पर उनकी टिप्पणियां और विचार आमंत्रित किए हैं.' इसमें कहा गया है कि याचिकाओं पर सुनवाई और फैसले का देश पर महत्वपूर्ण प्रभाव होगा, क्योंकि आम लोग और राजनीतिक दल इस विषय पर अलग-अलग विचार रखते हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 25 नवंबर को दो समलैंगिक जोड़ों द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था. इन याचिकाओं में दोनों जोड़ों ने शादी के अपने अधिकार को लागू करने और संबंधित अधिकारियों को विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपने विवाह को पंजीकृत करने का निर्देश देने की अपील की थी.

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Same Sex Marriage central government asks supreme court government to include states as party
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समलैंगिक विवाह पर केंद्र सरकार का नया दांव, राज्यों को भी पार्टी बनाने की अपील
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