डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग (Russia-Ukraine war) अब भी रुकने का नाम नहीं ले रही है. इस युद्ध को अब चार महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. इसकी वजह से सिर्फ यूक्रेन ही संकट में नहीं है, बल्कि कई और देशों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. यहां तेल और गैस के दाम बढ़ने की एक बड़ी वजह भी यह युद्ध ही है. इसके अलावा भारत में डायमंड सिटी के नाम से मशहूर शहर सूरत का हाल भी बुरा हो गया है. हाल ही में जारी हुई AFP की एक रिपोर्ट में यहां हीरा उद्योग से जुड़े कई मजदूरों का हाल बयां किया गया है.
किसी ने खोई नौकरी, किसी को नहीं मिली सैलरी
एएफपी से बातचीत में 44 वर्षीय योगेश बताते हैं, 'अब हीरे ही नहीं हैं तो काम भी नहीं है. मैं 13 साल की उम्र से इस काम से जुड़ा हुआ हूं. इस युद्ध ने सब बर्बाद कर दिया है. ये युद्ध अब खत्म होना चाहिए. यह जानना भी अहम है कि सूरत में 60% रोजगार हीरों के व्यवसाय से जुड़ा है. 37 वर्षीय दीपक प्रजापति ने भी मई महीने में अपनी नौकरी खो दी. उन्होंने अपने मालिक से पूछा कि वह वापस कब आ सकते हैं काम पर, तो इसका कोई जवाब नहीं मिला. उनका कहना है कि मैंने हमेशा से यही काम किया है.हीरों के अलावा मुझे और कुछ काम करना भी नहीं आता और सूरत में इसके अलावा कुछ ढूंढ पाना भी मुश्किल है. कई महीने से सैलरी नहीं मिल रही थी और अब नौकरी भी चली गई.
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रिलीफ पैकेज की मांग
इस सबके चलते गुजरात डायमंड वर्कर्स यूनियन ने सरकार से 10 करोड़ रुपये के रिलीफ पैकेजकी मांग भी की है ताकि जिन लोगों ने नौकरी खोई है उनकी मदद की जा सके. यूनियन के अध्यक्ष भावेश टैंक कहते हैं,'सूरत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है. यहां दुनिया भर के लिए हीरे तराशे गए हैं, मगर अब सूरत खुद खराब स्थिति में आ गया है. हम बस यही प्रार्थना करेंगे कि युद्ध खत्म हो जाए.
क्यों ठप्प पड़ गया हीरों का कारोबार
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस पर कई तरह के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध लगे. इस वजह से रूस से हीरे और दूसरे रत्नों को आयात करना मुश्किल हुआ. दुनिया में हीरे का खनन करने वाली सबसे बड़ी कंपनी Alrosa में रूस की सरकारी हिस्सेदारी है. अमेरिका ने इस कंपनी पर आठ अप्रैल को पाबंदी लगा दी थी. इससे दुनिया में 30 फीसदी रफ डायमंड (खरड़) की आपू्र्ति प्रभावित हुई है. भारत के लिए रूस हीरों का सबसे बड़ा सप्लायर है, लेकिन युद्ध के कारण ये सप्लाई रुक गई और सूरत में हीरों के व्यापार से जुड़े लगभग 20 लाख लोगों की जिंदगी पर संकट आ गया. चिराग जेम्स के सीईओ चिराग पटेल ने एएफपी को बताया कि हमें जितनी सप्लाई मिला करती थी अब उसका दसवां हिस्सा भी मुश्किल से हासिल हो पा रहा है. हम अब दक्षिण अफ्रीका और घाना से सप्लाई लेने की कोशिश कर रहे हैं.'
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सूरत कैसे बना डायमंड सिटी
सूरत को डायमंड सिटी के रूप में पहचान दिलाने का श्रेय पुर्तगालियों को दिया जा सकता है. तापी नदी के किनारे बसे इस शहर ने 60-70 के दशक में हीरों के शहर के तौर पर अपनी अच्छी-खासी पहचान बना ली थी. दुनिया के 90% हीरे सूरत में ही तराशे और पॉलिश किए जाते हैं. चिराग जेम्स के सीईओ चिराग पटेल कहते हैं, ' सूरत की पहचान ही हीरों से है या यूं कहें कि हीरों की पहचान ही सूरत से है. अगर कोई हीरा सूरत से होकर नहीं गुजरा है तो उसे हीरा नहीं कहा जा सकता.'
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