डीएनए हिंदी: आज का दिन RSS के लिए खास है. सन् 1925 में दशहरे वाले दिन ही आरएसएस की स्थापना हुई थी. पहली बार RSS के इस कार्यक्रम में एक महिला को आमंत्रित किया गया है. यह महिला हैं सुप्रसिद्ध पर्वतारोही श्रीमति संतोष यादव. संतोष यादव ऐसी पहली महिला है जो आरएसएस के दशहरा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुई हैं. खास बात यह है कि इस कार्यक्रम में कुछ साल पहले नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया जा चुका है.
संतोष यादव ने मंच से क्या कहा?
संतोष यादव ने शुरुआत प्रारब्ध से जुड़ी इन पंक्तियों से की. उन्होंने कहा- प्रारब्ध पहले भयो जन्म पाछे, यश-अपयश जन्म-मृत्यु लाभ-हानि सब विधि हाल' अक्सर मेरे व्यवहार और आचरण से लोग मुझसे पूछते थे कि 'क्या मैं संघी हूं?' तब मैं पूछती की वह क्या होता है? मैं उस वक्त संघ के बारे में नहीं जानती थी. इन पंक्तियों से बात शुरू करने का तात्पर्य यही है कि आज वह प्रारब्ध है कि मैं संघ के इस सर्वोच्च मंच पर आप सब से स्नेह पा रही हूं.
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उन्होंने कहा, 'मैं एक छोटे से गांव से हूं. मेरी प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही हुई, तो मेरा शिक्षा का स्तर उतना ऊंचा नहीं था. तब मैं उसी उधेड़बुन में लगी रहती कि शिक्षा का स्तर कैसे ऊंचा हो. दुनियादारी से बहुत संपर्क में मन नहीं था. अक्सर संजोग होता था कि लोग मुझे संघी कहते थे. तब पता नहीं था कि मेरी राह इस तरह बनेंगी. आगे उन्होंने कहा कि RSS ने सनातन संस्कृति के मूल को पकड़ा हुआ है. हर कार्यकर्ता सृष्टि के कल्याण के लिए बहुत मेहनत कर रहा है.हमें इसमें सहयोग देना चाहिए.
RSS को समझें, जानें फिर राय बनाएं
यही नहीं आरएसएस के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, 'पूरे विश्व के समाज को मैं अनुरोध करना चाहती हूं कि वह आए और आरएसएस की कार्यप्रणाली को उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों को समझे. कल से जब से मैं नागपुर में आई हूं आरएसएस के एक-एक कार्य को देख रही हूं. वह इतना शोभनीय है और इतना प्रभावित करने वाला है कि सनातन संस्कृति को लेकर विश्वास और पुख्ता हो जाता है. सनातन संस्कृति का मूल मंत्र है आवश्यकता में जीना. सनातन संस्कृति में जो जीता है वह सदैव सृजन के भाव में जीता है वह कभी नष्ट के भाव में नहीं जीता.
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शेयर किया JNU से जुड़ा एक अनुभव
कई बार हम किसी चीज के बारे में बिना जाने उसके विरोध में बातें करते हैं. मुझे याद है एक बार मैं जेएनयू में पर्यावरण के उद्बोधन में बच्चों से बात कर रही थी. तब एक बच्चे ने सवाल किया कि हमें रामचरित मानस या भगवत गीता पढ़ने के लिए क्यों कहा जाता है? तब मैंने कहा कि - किसने कहा? मैंने तो चर्चा नहीं की. फिर मेरे मन में एकसवाल उठा मैंने उनसे पूछा कि क्या आपने इसेपढ़ा है उसने कहा - नहीं. तब मैंने कहा कि जब आपने पढ़ा ही नहीं है तो इसके प्रति द्वेष क्यों. सनातन संस्कृति ये नहीं सिखाती बिना किसी चीज को जाने उसके विरोध में राय बनाना सही नहीं है.
कौन हैं संतोष यादव?
दरअसलस, संतोष यादव एक मशहूर पर्वतारोही हैं. वे ऐसी पहली महिला हैं जिन्होंने दो बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की है. वहीं पहली बार मई 1992 में और दूसरी बाद मई 1993 में उन्होंने पहली बार चढ़ाई की है. यह एक बड़ा विश्व रिकॉर्ड है. इसके अलावा कांगसुंग की तरफ़ से माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाली दुनिया की पहली महिला भी हैं.
संतोष यादव का जन्म हरियाणा में हुआ था. ये वहां के रेवाड़ी की रहने वाली हैं. स्थानीय रिपोर्ट्स के मुताबिक़ गांव में लड़कियों की पढ़ाई पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है लेकिन परिवार ने उन्हें पढ़ाया और आगे बढ़ने में सहयोग किया. इसके बाद वे जयपुर के महारानी कॉलेज में पढ़ाई करने गईं.
संतोष यादव अभी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में एक पुलिस अधिकारी के रुप में कार्यरत हैं. इसके साथ ही उन्होंने उत्तरकाशी नेहरु माउंटीनियरिंग कॉलेज से ट्रेनिंग भी ली थी. साल 2000 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
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Santosh Yadav बनीं RSS के विजयदशमी कार्यक्रम में शामिल होने वाली पहली महिला अतिथि, बताया अपना अनुभव