कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में 9 अगस्त की रात को हुई बलात्कार और हत्या मामले में एक नया मोड़ आया है. पीड़िता के परिवार की तरफ से केस लड़ रही वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने सुप्रीम कोर्ट, कलकत्ता हाई कोर्ट और सियालदा ट्रायल कोर्ट से अपना नाम वापस ले लिया है. गौरतलब है कि वृंदा ग्रोवर और उनकी लीगल टीम शुरुआत से ही इस मामले में पीड़ित परिवार की तरफ से केस लड़ रही थी.
मामले से वृंदा ग्रोवर का हटना
वृंदा ग्रोवर के चैंबर की ओर से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि उनकी लीगल टीम 2024 से पीड़िता के परिवार का केस फ्री में लड़ रही थी. बताते चलें कि इस केस में ग्रोवर की लीगल टीम में वकील सौतिक बनर्जी और अर्जुन गुप्ता भी शामिल थे, जिन्होंने परिवार का कई अदालतों में प्रतिनिधित्व किया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वकील और पीड़िता के परिवार के बीच कुछ तालमेल की कमी के कारण यह फैसला लिया गया है.
मामले की जांच
दरअसल, इस केस की शुरुआती जांच कोलकाता पुलिस ने की थी. लेकिन मामले में लगातार देरी के चलते कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस केस को सीबीआई को सौंप दिया था. अक्टूबर में, सीबीआई ने संजय रॉय को मुख्य आरोपी बताते हुए चार्जशीट दाखिल की थी. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार इस मामले को 19 अगस्त को संज्ञान में लिया था.
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ट्रायल की स्थिति
इस पूरे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट शुरू से ही काफी सख्त निर्देश दिए हैं. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस मामले का ट्रायल एक महीने के भीतर समाप्त हो सकता है. बहरहाल, अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वृंदा ग्रोवर की लीगल टीम के जाने के बाद अब यह केस किस दिशा में जाता है.
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