डीएनए हिंदी: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण पर बड़ा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने सवर्ण वर्ग के गरीब लोगों के लिए आरक्षण के पक्ष में 3-2 से फैसला सुनाया. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर एक और खास टिप्पणी भी की. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि कोटा प्रणाली को अनिश्चितकाल तक चलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और एक जातिविहीन व वर्गहीन समाज के लिए इसकी समय-सीमा तय की जानी चाहिए.

EWS आरक्षण के लिए 103वें संवैधानिक संशोधन की वैधता को बरकरार रखते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि आरक्षण का मकसद सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना है, लेकिन यह अनिश्चितकाल तक जारी नहीं रहना चाहिए, ताकि यह निहित स्वार्थ न बन जाए.

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यह समीक्षा करते हुए कि शिक्षा के विकास और प्रसार की वजह से बड़ी संख्या में पिछड़े वर्ग के सदस्य शिक्षा और रोजगार के स्वीकार्य मानकों को प्राप्त कर रहे हैं, जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि उन लोगों को पिछड़ी श्रेणियों से हटा दिया जाना चाहिए ताकि उन वर्गों पर ध्यान दिया जा सके जिन्हें वास्तव में मदद की ज़रूरत है.

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने कहा, "संविधान निर्माताओं द्वारा क्या कल्पना की गई थी, 1985 में संविधान पीठ द्वारा क्या प्रस्तावित किया गया था और संविधान के पचास वर्ष पूरे होने पर क्या हासिल करने की मांग की गई थी, यानी कि आरक्षण की नीति में एक समय अवधि होनी चाहिए जो आज तक यानी हमारी आजादी के 75 साल पूरे होने तक हासिल नहीं हुआ है."

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उन्होंने आगे कहा, "यह नहीं कहा जा सकता है कि भारत में सदियों पुरानी जाति व्यवस्था देश में आरक्षण के उत्पत्ति के लिए जिम्मेदार थी. यह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों से संबंधित व्यक्तियों के साथ ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने और उन्हें आगे के वर्गों से संबंधित व्यक्तियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक समान अवसर प्रदान करने के लिए लाया गया था. हालांकि, अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्षों के अंत में, हमें परिवर्तनकारी संवैधानिकता की दिशा में एक कदम के रूप में, समग्र रूप से समाज के व्यापक हित में आरक्षण की प्रणाली पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है."

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Reservation can not be life long says Supreme Court
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EWS Reservation: अनंतकाल तक नहीं चल सकता आरक्षण- सुप्रीम कोर्ट
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