डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, स्वामी प्रसाद मौर्य की वजह से बुरी फंसी है. रामचरितमानस को बकवास ग्रंथ बनाकर उन्होंने मुसीबत मोल ले ली है. उनके बयान को समाजवादी पार्टी पचा नहीं पा रही है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आदेश दिया है कि सभी दफ्तरों के बाहर से रामचरितमानस और शूद्र वाले बयानों से संबंधित सभी विवादित पोस्टर हटा लिए जाएं.
लखनऊ में जगह-जगह गर्व से कहो हम शूद्र हैं, लिखे हुए पोस्टर नजर आ रहे थे. सपा दफ्तर के सामने भी ऐसे पोस्टर लगे थे. अब अखिलेश यादव ने इस विवाद से दूरी बना ली है. सपा कार्यलय के बाहर से सङभी पोस्टर हटा लिए गए हैं.
सपा ने प्रवक्ताओं को दिया था दूरी बरतने का आदेश
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने एक आदेश में कहा था कि धार्मिक मामलों पर बोलने से पार्टी के नेता परहेज करें. यह आदेश अखिलेश यादव ने जारी किया था. सपा कार्यालय के बाहर से रामचरितमानस और शुद्र को लेकर लगे सभी पोस्टर अब हटा लिए गए हैं.
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क्यों रामचरितमानस पर भड़का था विवाद, क्यों घिरी थी सपा?
स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को बकवास ग्रंथ बताया था. उन्होंने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. सरकार को रामचरित मानस के आपत्तिजनक अंश हटाना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए.
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रामचरितमानस हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के बीच सम्मानित ग्रंथ है. इस ग्रंथ को हर हिंदू अपने घर में रखता है. जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने यह बयान दिया तो लोग आहत हो गए. समाजवादी पार्टी का जगह-जगह विरोध होने लगा. कुछ जगह रामचरितमानस की प्रतियां जलाई गई थीं. हिंदूवादी संगठनों ने सपा का व्यापक विरोध किया था.
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रामचरितमानस पर बुरी फंसी सपा, अखिलेश यादव ने विवाद से काटी कन्नी, सपा दफ्तर से पोस्टर हटाने का आदेश