डीएनए हिंदी: रामचरितमानस (Ramcharitmanas Row) को लेकर यूपी की राजनीति में समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने बवाल खड़ा कर दिया है. उन्होंने पहले इसे दलित विरोधी और बकवास बताते हुए बैन करने की मांग उठाई तो वहीं अब OBC महासभा ने भी उनके समर्थन में उतर आया है. ओबीसी महासभा ने लखनऊ में रामचरितमानस की कॉपियां जलाईं हैं जिसके चलते तनाव बढ़ने की स्थिति भी पैदा हो गई है. गौर करने वाली बात यह है कि विवादों के बावजूद सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया है. 

दरअसल, रामचरितमानस को लेकर अब लखनऊ में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा ने अपना विरोध दर्ज किया है. महासभा के सदस्यों ने मानस की प्रतियों को जलाकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन किया है. यह घटना लखनऊ के वृंदावन योजना में अंबेडकर पार्क के गेट पर सभी लोग एकत्रित हुए थे. श्रीरामचरित मानस की कुछ चौपाइयों को लेकर इन दिनों खूब बयानबाजी हो रही है जिसे दलित विरोधी बताया जा रहा है. 

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Ramcharitmanas को बताया दलित और महिला विरोधी

ओबीसी महासभा ने रामचरितमानस को दलित महिला विरोधी बताया है. संगठन के एक अधिकारी ने कहा, "श्रीरामचरित मानस में नारी शक्ति, शूद्र, दलित समाज और ओबीसी समाज के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां है. हम लोग इन टिप्पणियों को श्रीरामचरित मानस से निकलवाना चाहते हैं. जब तक सभी टिप्पणियां नहीं निकाली जाएंगी, हम सभी ऐसे ही प्रदर्शन करते रहेंगे. जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया जाएगा."

इसके अलावा उन्होंने कहा, "जब दुनिया चांद पर जा रही है और आगे बढ़ रही है तो कुछ लोग 85 फीसदी समाज को पीछे ले जाना चाह रहा है. ऐसे 15 फीसदी लोग हैं. कई सदियों से वो पीछे लेकर जा रहा है. इस ग्रंथ में सर्व समाज को मूर्ख बनाया गया है."

स्वामी चक्रपाणि ने सीएम योगी से की कार्रवाई की मांग

इस घटना को लेकर अब विरोध भी शुरू हो गया है. स्वामी चक्रपणि महाराज ने मानस जलाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर डाली है. उन्होंने कहा, "मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से कार्रवाई की मांग करता हूं कि ये कृत्य जिसने भी किया है उन पर कार्रवाई होनी चाहिए. हिन्दू महासभा हिन्दू भावनाओं को ठेस पहुंचाने वालों पर कार्रवाई करती है." 

अखिलेश यादव का क्या है नया दांव?

एक अहम बात यह है कि रामचरित मानस को लेकर जो विवाद जारी है, उसमें सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान ने आग में घी डालने जैसा काम किया. इन विवादों के बावजूद सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने उन्हें पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल करते हुए राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त कर दिया है. अब राजनीतिक विश्लेषक इसे अखिलेश की नई राजनीतिक चाल बता रहे हैं.

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अखिलेश यादव इस नई राजनीतिक चाल के जरिए 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी कर रहे हैं और सपा मानस विवाद के जरिए अपना मुस्लिम दलित और ओबीसी वर्ग का महिला वोटबैंक टारगेट कर रही है. अनुमान है कि इसीलिए विवादों में होने के बावजूद स्वामी प्रसाद मौर्य को पार्टी में प्रमोशन दिया गया है. 

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Ramcharitmanas Row: रामचरितमानस पर बढ़ा बवाल, स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में
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स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में सड़क पर जला दी रामचरितमानस की कॉपियां, क्या नया दांव चल रही सपा?