डीएनए हिंदी: राजस्थान चुनाव 2023 में बीजेपी को बंपर बहुमत मिला है. पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है. हालांकि, अशोक गहलोत के कार्यकाल की तारीफ करते हुए उनकी चिरंजीवी योजना और दूसरी कल्याणकारी योजनाओं के दम पर कांग्रेस को सत्ता में वापसी की उम्मीद थी. हालांकि, न सिर्फ कांग्रेस की राज्य से विदाई हो रही है बल्कि खुद गहलोत कैबिनेट के कई मंत्री हारने की कगार पर हैं. दोपहर 2 बजे तक चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 6 मंत्री अपनी सीट पर पीछे चल रहे हैं. अशोक गहलोत सरकार के फेल होने की कई वजह मानी जा रही है जिसमें विधायकों का अहंकार और भ्रष्टाचार से लेकर पेपर लीक के मामले और पार्टी में खेमेबाजी ने कांग्रेस की लुटिया डुबो दी है.
पेपर लीक की वजह से युवाओं में आक्रोश
पेपर लीक के मुद्दे पर युवाओं में कांग्रेस और अशोक गहलोत सरकार को लेकर भारी आक्रोश था. साल 2018 से 2023 के बीच 8 बार अलग अलग परीक्षाओं के पेपर लीक हुए. इससे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के बीच भारी आक्रोश था और गहलोत सरकार के चुनावी दावों को जनता ने सिरे से नकार दिया है.
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लाल डायरी और भ्रष्टाचार के मुद्दे रहे हावी
राजस्थान सरकार से बर्खास्त किए जा चुके मंत्री राजेंद्र गुढा ने तो इसमें विधायकों की खरीद-फरोख्त का लेखा-जोखा तक होने की बात कही थी. गुढ़ा के इस डायरी का जिक्र पीएम नरेंद्र मोदी ने भी किया था. लोगों के बीच इसको लेकर अशोक गहलोत की सरकार में भ्रष्टाचार होने को लेकर छवि खराब हुई थी.
विधायकों की नाकामी ने काम बिगाड़ा
राजस्थान में अशोक गहलोत के विधायकों को लेकर भारी नाराजगी का माहौल था. कई विधायकों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे तो कुछ पर क्षेत्र में उपलब्ध नहीं होने की वजह से नाराजगी थे. टिकट बंटवारे में भी इस तथ्य को नजरअंदाज किया और नतीजा कांग्रेस को सत्ता गंवाकर चुकानी पड़ रही है.
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पार्टी के अंदर भारी गुटबाजी
राजस्थान में कांग्रेस की सबे बड़ी कमजोरी पार्टी के अंदर गुटबाजी रही. 2018 में जब कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी तो एक बड़ी वजह कार्यकर्ताओं का एकजुट होना था. दूसरी ओर सरकार बनते ही अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे के बीच की तकरार शुरू हो गई और चुनाव पूर्व की सुलह की खबरों के बाद भी कार्यकर्ताओं में पिछली चुनाव की तरह का उत्साह देखने को नहीं मिला.
कन्हैयालाल हत्याकांड को लेकर जनता में भारी आक्रोश
राजस्थान के चुनाव प्रचार में बीजेपी ने उदयपुर वाले कन्हैयालाल हत्याकांड का मामला जमकर उठाया था. गहलोत सरकार पर तुष्टिकरण के आरोप लगे जिसकी काट कांग्रेस सटीक ढंग से नहीं ढूंढ़ पाई. पीएम मोदी और बीजेपी नेताओं ने प्रदेश में महिला अपराध के मुद्दों को भी जोर-शोर से उठाया था.
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चिरंजीवी योजना, सस्ता सिलेंडर फिर भी चूक गए अशोक गहलोत, ये बने हार की वजह