डीएनए हिंदी: कांग्रेस (Congress) का अंदरुनी कलह खत्म होता नजर नहीं आ रहा है. अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की वजह से राजस्थान कांग्रेस दो धड़ों में बंट गई है. एक गुट अशोक गहलोत के साथ है, वहीं दूसरा गुट सचिन पायलट (Sachin Pilot) के साथ है. अशोक गहलोत खेमे के करीब 80 विधायकों ने धमकी दी है अगर मुख्यमंत्री सचिन पायलट को बनाया जाता है तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.

सचिन पायलट के समर्थन में करीब 15 से 20 विधायक हैं. न तो अशोक गहलोत, सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में हैं, न ही सचिन पायलट चाहते हैं कि अशोक गहलोत खेमे का कोई शख्स मुख्यमंत्री बने. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व दोनों को यह समझाने में असफल रहा है कि बातचीत से मुद्दे को सुलझा लिया जाए. 

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नहीं थमेगी कांग्रेस की कलह

राजस्थान में अब सचिन पायलट और गहलोत गुट में सुलह बेहद मुश्किल है. ऐसा माना जा रहा है कि गहलोत गुट के समर्थन में 102 विधायक हैं जो चाहते हैं कि जो भी मुख्यमंत्री बने गहलोत का करीबी ही बने. सचिन पायलट के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं है. ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री का ताज मिलने वाला नहीं है. 

सचिन पायलट जहां राहुल गांधी के दोस्त और करीबी हैं वहीं अशोक गहलोत अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के करीबी हैं. अशोक गहलोत को अध्यक्ष का पद भी गांधी परिवार की रजामंदी से मिल रहा है. कांग्रेस के हाई कमान के रुख से भी साफ है कि अशोक गहलोत ही कांग्रेस के अध्यक्ष होंगे, शशि थरूर की राह में कई मुश्किलें हैं.  

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राजस्थान विवाद को सुलझाने के लिए अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को सोनिया गांधी ने राज्य में भेजा था. बिना विवाद सुलझाए दोनों को लौटना पड़ रहा है. विधायक, दिल्ली के सभी प्रतिनिधियों से मिलने से इनकार कर रहे हैं. दिल्ली के शीर्ष नेतृत्व को यह रास नहीं आने वाला है.

क्या मध्य प्रदेश जैसा होगा कांग्रेस का हाल?

ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस का मध्य प्रदेश जैसा हाल होने वाला है. अगर चरणजीत सिंह चन्नी की तरह किसी नए चेहरे को लाकर कांग्रेस राजस्थान में प्रयोग करती है तो चुनावी नजरिए से कांग्रेस को फायदा नहीं होने वाला है. कांग्रेस की अंदरुनी कलह का असर वोटरों पर भी पड़ना तय है. 

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अगर सचिन पायलट की शीर्ष नेतृत्व से नाराजगी और बढ़ती है तो ऐसा हो सकता है कि हाल मध्य प्रदेश जैसा हो. मध्य प्रदेश में इसी वजह से कमलनाथ सरकार गिरी थी. ज्योतिरादित्य अपने विधायकों को लेकर बीजेपी में शामिल हो गए थे. अगर सचिन पायलट अपने खेमे के विधायकों को लेकर कांग्रेस से अपनी राहें अलग कर लें तो स्थितियां बदल जाएंगी. चुनाव से सालभर पहले ही कांग्रेस की सरकार राजस्थान में गिर जाएगी.

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क्या है कांग्रेस के पास विकल्प?

कांग्रेस अगर चाहे तो अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री रहने दे और अध्यक्ष पद शशि थरूर या किसी और को सौंप दे. शशि थरूर अगर अध्यक्ष बनते हैं दक्षिणी राज्यों में कांग्रेस को लाभ हो सकता है और अध्यक्ष जैसे पद के लिए एक विजनरी नेता भी मिल सकता है. अगर गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष का पद सौंपा जाता है तो कांग्रेस के हाथों से एक और राज्य का फिसलना तय है.

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गलतियों के बाद भी सीखना नहीं चाह रही कांग्रेस?
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सचिन पायलट और अशोक गहलोत. (फाइल फोटो-PTI)
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सचिन पायलट और अशोक गहलोत. (फाइल फोटो-PTI)

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गलतियों के बाद भी सीखना नहीं चाह रही कांग्रेस, गांधी का गहलोत प्रेम बढ़ाएगा मुश्किलें!