प्रियंका गांधी वायनाड से कांग्रेस की उम्मीदवार होंगी. राहुल गांधी रायबरेली सीट अपने पास रखेंगे और कांग्रेस (Congress) ने प्रियंका को सुदूर केरल की सीट से संसद भेजने का रास्ता बनाया है. देश के सबसे दिग्गज राजनीतिक परिवार की बेटी प्रियंका के लिए राजनीति नई नहीं है लेकिन 52 साल की उम्र में वह अपना चुनावी डेब्यू करने जा रही हैं. कांग्रेस महासचिव का पद संभालने से पहले भी वह अमेठी और रायबरेली में पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करती थीं. एक नजर में देखें कैसा रहा है प्रियंका का राजनीतिक करियर.
असफलताओं से भरी शुरुआत, लेकिन लगातार रहीं सक्रिय
प्रियंका गांधी को 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई थी और उन्हें कांग्रेस महासचिव बनाया गया था. हालांकि. यह शुरुआत काफी खराब रही और खुद राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए थे. इसके बाद 2022 विधानसभा चुनाव में उन्होंने 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' का नारा दिया, लेकिन पार्टी को सिर्फ 2 सीटें मिलीं.
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हालांकि, इसके बाद भी प्रियंका के जुझारू तेवर और बीजेपी पर सख्त हमले जारी रहे. यही वजह है कि शुरुआती असफलताओं के बाद भी प्रियंका गांधी को कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच जोश भरने के अचूक हथियार के तौर पर देखा जाता रहा है.
लोकसभा चुनाव 2024 में मिली पहली बार सफलता
लोकसभा चुनाव 2024 में प्रियंका को सही मायने में पहली राजनीतिक सफलता मिली है. उन्होंने देश के कई हिस्सों में चुनाव प्रचार किया, लेकिन यूपी में उनकी जोरदार मेहनत देखने को मिली थी. अमेठी में न सिर्फ वह किशोरी लाल शर्मा को जिताने में कामयाब रहीं, बल्कि कई जगह पर उन्होंने सपा उम्मीदवारों के लिए भी प्रचार किया. गुजरात में प्रियंका ने सिर्फ बनासकांठा में प्रचार किया था और 10 साल बाद प्रदेश से पार्टी के किसी उम्मीदवार को जीत मिली.
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कुल मिलाकर कांग्रेस के सत्ता से बाहर रहने के बाद बी 2024 के चुनावी नतीजों को कांग्रेस पार्टी के लिहाज से अपने लिए संजीवनी मान रही है. अब वायनाड की सेफ सीट के साथ प्रियंका का संसद में डेब्यू होगा जहां विपक्ष में रहते हुए उनकी आवाज और तेवर पर सबकी नजर रहने वाली है.
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संसदीय राजनीति में उतरेंगी प्रियंका गांधी, असफलताओं के बीच जुझारू तेवर रहे ताकत