डीएनए हिंदीः राष्ट्रपति चुनाव (President Election 2022) की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. 18 जुलाई को होने वाले चुनाव के लिए अब तक 15 उम्मीदार नामांकन दाखिल कर चुके हैं. हालांकि कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) दोनों ने ही अपने उम्मीदवार के नाम का खुलासा नहीं किया है. बीजेपी के लिए इस चुनाव में जीत की राह इतनी आसान नजर नहीं आ रही है. वोटों का गणित बीजेपी के पक्ष इतना आसान नहीं दिख रहा है. अगर चुनाव में पूरा विपक्ष एकजुट हो जाए तो बीजेपी को हार का भी सामना करना पड़ सकता है.
कैसे तय होगी वोट की वैल्यू
राष्ट्रपति के चुनाव में सांसद और सभी राज्यों के विधायक वोट देते हैं. इस बार चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज में 4809 सदस्य होंगे. इनमें राज्य सभा के 233, लोकसभा के 543 और विधानसभाओं के 4033 सदस्य होंगे. राष्ट्रपति चुनाव में हर वोट की एक वैल्यू होती है. इस बार हर संसद सदस्य के वोट की कीमत 700 तय की गई है. इसके अलावा विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की जनसंख्या के हिसाब से एक फॉर्मूले के निकाली जाती है.
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विधायकों के वोट की कैसे तय होती है वैल्यू
हर राज्य की जनसंख्या और उनकी विधायसभा में सदस्यों की संख्या के हिसाब से उस राज्य में एक विधायक के वोट की वैल्यू तय की जाती है. इस बार यूपी के विधायकों के वोट का वेटेज 208 होगा, जबकि मिजोरम में 8 और तमिलनाडु में 176 होगा. राष्ट्रपति चुनाव में विधायकों के वोटों का कुल वेटेज 5,43,231 होगा. वहीं संसद के सदस्यों के वोटों का वेटेज 543,200 है. कुल मिलाकर इस साल सभी सदस्यों के वोटों का वेटेज 1086431 है.
किसका पलड़ा भारी
भले ही केंद्र में बीजेपी सत्ता में हो लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में उसकी जीत की संभावना इतनी आसान नजर नहीं आ रही हैं. कई राज्यों में गैर बीजेपी शासित सरकारें हैं. आंकड़ों के हिसाब से देखें तो बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास कुल 48.9 फीसदी वोट हैं. दूसरी तरफ विपक्ष के पास 51.1 फीसदी वोट हैं. ऐसे में साफ है कि अगर विपक्ष एकजुट हो जाता है तो बीजेपी के लिए राह मुश्किल हो सकती है.
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बीजेपी की उम्मीद बरकरार
बीजेपी विपक्ष से अभी 2.2 फीसदी वोट पीछे है. ऐसे में उसके लिए विपक्षी खेमे में सेंधमारी जरूरी है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए बीजेपी की नजर गैर कांग्रेस शासित राज्यों पर है. बीजेपी अब तक ओडिशा के मुख्यमंत्री से मुलाकात कर चुकी है. वहीं आंध्र प्रदेश की सरकार चला रही वाईएसआर कांग्रेस और केसीआर की पार्टी टीआरएस से भी समर्थन मांग सकती है. इसके अलावा अन्य छोटे दलों के भी लगातार बातचीत कर समर्थन मांगा जा रहा है.
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