डीएनए हिंदी: आज द्रौपदी मुर्मू ने देश के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ले ली है. द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला हैं जो इस पद तक पहुंची हैं. साथ ही वह अब तक की सबसे युवा राष्ट्रपति भी हैं. आदिवासी समुदाय के किसी शख्स औऱ वह भी महिला का इस पद तक पहुंचना देश के इतिहास में एक नई इबारत लिखे जाने जैसा है. जब से द्रौपदी मुर्मू के नाम की राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर घोषणा हुई थी तभी उसे उनके जीवन और राजनीतिक करियर से जुड़ी कई बातें सामने आ चुकी हैं. मगर क्या आप ये बात जानते हैं कि अब देश की राष्ट्रपति बन चुकीं द्रौपदी मुर्मू कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहती थीं. क्या रही यहां तक की कहानी और कैसे हुई राजनीति में उनकी एंट्री यह जानना बेहद दिलचस्प है-
पति नहीं चाहते थे कि राजनीति में आएं द्रौपदी मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू के परिवार में हर कोई यही सोचता था कि वह अच्छी पढ़ाई करेंगी और टीचर बनेंगी. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक द्रौपदी मुर्मू के पति श्याम चरण मुर्मू नहीं चाहते थे कि वह राजनीति में जाएं. उन्होंने एक बार कहा भी था कि राजनीति हमारे लिए नहीं है. हम छोटे लोग हैं और महिलाओं के लिए तो राजनीति बिलकुल ठीक नहीं है. बस फिर द्रौपदी ने भी कभी इस बारे में नहीं सोचा. वह टीचर बन गईं यही उनके और परिवार के लिए काफी था. किसी ने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि वह राष्ट्रपति बन जाएंगी.
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किस शख्स की वजह से राजनीति में आईं द्रौपदी मुर्मू
बताया जाता है कि द्रौपदी मुर्मू को राजनीति में लाने का श्रेय रविंद्रनाथ महतो को जाता है. रविंद्रनाथ की द्रौपदी से मुलाकात उनके दूर के रिश्ते के चाचा कार्तिक मांझी की वजह से हुई थी. इसी वजह से रविंद्रनाथ महतो और द्रौपदी के बीच भी चाचा-भतीजी जैसा रिश्ता हो गया. फिर एक समय ऐसा आया जब रविंद्रनाथ महतो को लगा कि द्रौपदी को राजनीति की दुनिया में कदम रखना चाहिए. उस समय वह बीजेपी के जिलाध्यक्ष थे. तब उन्होंने ही द्रौपदी के पति को भी इसके लिए मनाया था. रविंद्रनाथ के कहने और समझाने पर ही द्रौपदी ने पार्षद का चुनाव लड़ा था. यह सन् 1997 की बात है जब मुर्मू ने राजनीति की दुनिया में कदम रखा था.
सन् 1997 में वह रायरंगपुर नगर पंचायत में पार्षद चुनी गई थीं. साल 2000 और 2004 में ओडिशा विधानसभा (Odisha Assembly) में दो बार चुनी गईं. उन्होंने राज्य सरकार में वाणिज्य और परिवहन (Commerce and Transport) और बाद में मत्स्य पालन और पशुपालन मंत्रालय भी संभाला.
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पति नहीं चाहते थे राजनीति में आएं Droupadi Murmu, इस शख्स की वजह से लिया फैसला