नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ले ली है. पीएम मोदी के बाद राजनाथ सिंह (Rajnath Singh), अमित शाह (Amit Shah), नितिन गडकरी (Nitin Gadkari), जय प्रकाश नड्डा (JP Nadda) ने तो शपथ ली ही इसके साथ ही पांचवे नंबर पर मध्य प्रदेश के 16.5 साल मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने भी शपथ ली. इसके साथ ही पीएम मोदी की कैबिनेट में छह पूर्व मुख्यमंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली है. इसमें हम पार्टी के एक मात्र सांसद और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) के साथ असम के 14वें मुख्यमंत्री रहे सर्बानंद सोनोवाल ने भी शपथ ली.
मनोहर लाल की जगह नायब सिंह को बनाया गया था CM
मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाकर करनाल से चुनाव लड़वाया गया था. जब मोदी सरकार ने अचानक खट्टर को उनके पद से हटाकर नायब सिंह को सीएम बनाया था तो खुद खट्टर भी नहीं समझ पाए थे कि यह क्या हो रहा है लेकिन जब उन्हें करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया तो वो समझ गए कि उनके दोस्त मोदी ने उन्हें धोखा नहीं दिया है बल्कि उनपर विश्वास जताते हुए उन्हें राज्य से निकालकर देश के लिए और अधिक जिम्मेदारी दी है. खट्टर लंबे समय तक आरएसएस के प्रचारक रहे हैं और उन्होंने बीजेपी 1994 में ज्वाइन किया था. खट्टर हरियाणा के 2014 से मार्च 2024 तक मुख्यमंत्री रहे. मनोहर लाल खट्टर एक राजनेता के तौर पर कम बल्कि उनकी पहचान आरएसएस के प्रचारक के रूप में ज्यादा रही है.
शिवराज सिंह करेंगे कमाल
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को लेकर काफी समय से अटकलें लगाई जा रही थी. लेकिन 9 जून की शाम जैसे ही पांचवें नंबर पर शिवराज सिंह का नाम शपथ के लिए एनाउंस किया गया दर्शक दीर्घा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज गई. विदिशा से छठवीं बार सांसद बने चौहान ने पहली बार विदिशा से ही 1991 में सांसद बन कर केंद्र में आए थे. उन्होंने 1990 में पहली बार विधायकी का चुनाव लड़ा और जीते भी थे. बता दें कि 2005 से 2013 तक चार बार एमपी का मुख्यमंत्री बनने के साथ साथ उन्हें लंबा प्रशासनिक अनुभव रहा है.
जीतन राम मांझी के नाम रिकॉर्ड
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने 80 की उम्र में पहली बार लोकसभा चुनाव जीता है और केंद्र में मंत्री बन कर रिकॉर्ड भी बनाया है. मांझी हम पार्टी के संस्थापक हैं. दलित समुदाय से आने वाले मांझी ने अपना राजनीतिक करियर 1980 में पहली बार विधायक चुने गए थे इसके बाद वो कई बार बिहारमें बनी अलग अलग सरकारों में मंत्री भी रह चुके हैं. यही नहीं वह 20 फरवरी 2014 से 20 फरवरी 2015 तक बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे हैं. गया लोकसभा सीट से मांझी तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन हर बार उन्हें हार का मुंह ही देखना पड़ा लेकिन यह अपने आपमें रिकॉर्ड है कि वह पहली बार लोकसभा का चुनाव जीते और केंद्र में मंत्री बने. मांझी का जन्म गया के खिजरसराय के महकार गांव में एक खेतिहर मजदूर के घर में हुआ था. मांझी ग्रेजुएट हैं.
सर्वानंद सोनोवाल ने ली मोदी कैबिनेट में मंत्री
सर्वानंद सोनोवाल ने मोदी कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ ली. सर्वानंद सोनोवाल असम के 14वें मुख्यमंत्री रहे हैं. सोनोवाल को बीजेपी ने डिब्रूगढ़ संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतारा था. केंद्रीय जहाजरानी, बंदरगाह, जलमार्ग और आयुष मंत्री रहे सोनोवाल ने 2016 में असम विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को जीत दिलाई थी और खुद 24 मई को सूबे के मुख्यमंत्री रहे थे. सोनोवाल की गिनती नॉर्थ ईस्ट के बड़े नेताओं के रूपमें होती है. बता दें कि मौजूदा असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्बा सरमा को सीएम बनाने के लिए सोनोवाल ने मुख्यमंत्री पद छोड़ा था. केंद्र में आने के बाद सोनोवाल ने पहले राज्यमंत्री- (स्वतंत्र प्रभार) का पद दिया गया.
एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक से केंद्र तक
मोदी कैबिनेट में छह पूर्व मुख्यमंत्रियों को शामिल किया गया है. इसमें एक कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारास्वामी भी हैं. कुमारस्वामी फिल्म निर्माता होने के साथ साथ बिजनेसमैन भी हैं. वह 2006-07 के बीच और 2018 से 19 के बीच दो बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे हैं. एनडीए में सहयोगी दलों में शामिल जनता दल सेकुलर के सांसद एचडी कुमारस्वामी ने मांड्या लोकसभा सीट से चुनाव जीता है. कुमारस्वामी पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के बेटे हैं.
पूर्व यूपी के सीएम राजनाथ सिंह
पीएम मोदी के बाद राजनाथ सिंह ने ही मोदी 3.0 में सबसे पहले शपथ लेने वाले कैबिनेट मंत्री रहे. बता दें कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में राजनाथ सिंह ने तीसरी बार कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली है. इससे पहले वह यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं. पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में राजनाथ को गृहमंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था वहीं दूसरे कार्यकाल में वह रक्षा मंत्री थे अब देखना है कि उन्हें कौन सा पद मिलता है. राजनाथ ने अपना राजनीतिक करियर 1974 में शुरू किया था और 1977 में वह पहली बार विधायक भी बन गए थे. 1988 में एमएलसी और 1991 में यूपी के शिक्षा मंत्री बने थे. 2000 में वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए. राजनाथ सिंह दिसंबर 2005 से लेकर 2009 तक बीजेपी के अध्यक्ष रहे और इस दौरान वो गाजियाबाद सीट से सांसद चुने गए थे. राजनाथ सिंह लखनऊ लोकसभा सीट से तीसरी बार जीतकर आए हैं.
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