डीएनए हिंदी: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेताओं ने महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को नजरबंद करने का आरोप लगाया है. पीडीपी और नेकां के नेताओं ने सोशल मीडिया पर कई तस्वीरों को शेयर करते हुए कहा है कि अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले उमर और महबूबा नजरबंद किया गया है. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने इन आरोपों को निराधार बताया है.
सोमवार को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट की भी मोहर लग गई है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले पीडीपी और नेकां के नेताओं ने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि उनके नेता महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को नजरबंद कर लिया गया है. इसको लेकर उपराज्यपाल ने कहा कि राजनीति कर्म से पूरे जम्मू कश्मीर में किसी को भी हाउस अरेस्ट नहीं किया गया है और ना ही किसी को गिरफ्तार किया गया है. इसके साथ उन्होंने कहा कि कुछ लोग नजर बंद को लेकर भ्रामक अफवाह फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.
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श्रीनगर पुलिस ने दिया जवाब
महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को नजरबंद किए जाने के आरोपों पर श्रीनगर पुलिस ने सोशल मीडिया पर जवाब दिया है. श्रीनगर पुलिस ने लिखा कि श्रीनगर में किसी को भी नजरबंद नहीं किया गया है. अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाने संबंधी याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला सुनाए जाने के मध्य नजर पूरी घाटी में पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. जम्मू में भी व्यापक प्रबंध किए गए हैं और सोशल मीडिया पर भी नजर रखी जा रही है. आपको बता दें की पूरी घाटी में सुरक्षा बलों के काफिले की रवानगी पर रोक लगा दी गई है. इसके साथ वीआईपी की सुरक्षा में लगे काफिले पर भी रोक लगा दी गई है.
उमर अब्दुल्ला ने लगाए ऐसे आरोप
उमर अब्दुल्ला ने उपराज्यपाल द्वारा किए गए पोस्ट पर कहा कि ये जंजीरें जो मेरे गेट पर लगाई गई हैं, जो मैंने नहीं लगाई है तो राज्यपाल अपने पुलिस बल द्वारा किए गए काम से इंकार क्यों कर रहे हैं. यह भी संभव है कि आपको पता ही ना हो कि आपकी पुलिस क्या कर रही है? क्या आप ईमानदार नहीं हैं या आपकी पुलिस आपसे स्वतंत्र होकर काम कर रही है?
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सुप्रीम कोर्ट ने 370 को लेकर की ऐसी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति का फैसला संवैधानिक तौर पर अवैध था और अनुच्छेद 370 अस्थायी था. संविधान के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर में लागू होंगे. कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रपति को फैसला लेने का पूरा अधिकार है. जानकारी के लिए बता दें कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने का निर्णय लिया था. केंद्र के फैसले के बाद से जम्मू से विशेष राज्य का दर्जा है गया था और वह केंद्र के अधीन आ गया था. इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया है.
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उमर और महबूबा को किया नजरबंद- पीडीपी ने लगाया आरोप, LG ने दिया ऐसा जवाब