डीएनए हिंदी: गुजरात में प्रचंड जीत (Gujarat Election Results 2022) के बाद केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ज्यादा आक्रामक हो गई है. इस बीच संसद सत्र के दौरान आज बीजेपी के ही सांसद किरोणी लाल मीणा ने राज्यसभा (Rajya Sabha) में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का प्राइवेट मेंबर बिल पेश कर दिया है. इस मुद्दे पर संसद में एक बड़ा टकराव देखने को मिला था. हालांकि बिल पेश करने के पक्ष में 63 वोट पड़े और विरोध में 23 सांसदों ने मतदान किया.
इस मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामा हुआ है. ऐसे में केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने कहा, "किसी भी सदस्य को बिल पेश करने और अपने क्षेत्र के मुद्दे उठाने का अधिकार है. बिल पेश होने के बाद जब इस पर चर्चा होगी तब हर पार्टी अपनी बात रख सकेगी. इसके लिए राज्यसभा में बहस होनी चाहिए है." वहीं CPI(M) के सांसद जॉन ब्रिटास ने विधि आयोग की रिपोर्ट का हवाले देते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता की जरूरत नहीं है. यह एक बेकार का मुद्दा है.
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समान नागरिक संहिता का बिल पेश होते ही कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, डीएमके,एनसीपी और टीएमसी समेत तमाम विपक्षी दलों ने बिल पेश करने का जोरदार विरोध किया था. समाजवादी पार्टी के सांसद और दिग्गज नेता रामगोपाल यादव ने कहा, "मुसलमान अपनी चचेरी बहन से शादी करना सही मानते हैं क्या हिंदू ऐसा कर सकते हैं. इसीलिए सभी धर्मों की अलग-अलग परंपरा है." बीजू जनता दल ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया और सदन से वॉकआउट किया. अहम बात यह है कि ऐसे कई मौकों पर बीजेडी ने वॉक आउट ही किया है.
क्या है Uniform Civil Code?
समान नागरिक संहिता को एक धर्मनिरपेक्ष कानूनी प्रणाली के तौर पर देखा गया है. सभी पंथ के लोगों के लिए यह समान रूप से लागू होता है. इसके तहत अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग सिविल कानून न होना ही 'समान नागरिक संहिता' का मूल भावना है. समान नागरिक कानून के बाद चाहे कोई व्यक्ति किसी भी धर्म का हो, उस पर एक ही प्रकार के कानून लागू होंगे.
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इस कानून के जरिए हिंदू मैरिज एक्ट भी खत्म किया जाएगा और शरीया से संबंधित मुस्लिम धर्म के आंतरिक कानूनों का भी अंत किया जाएगा. बीजेपी लंबे वक्त से इस कानून को लाने की कोशिशें करती रही है लेकिन अभी तक इस पर कोई आम सहमति नहीं बन पाई है.
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