डीएनए हिंदी: मणिपुर में हिंसा के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में हंगामा जारी है. सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ देर बाद ही स्थगित हो जाती है. विपक्षी दल मणिपुर मुद्दे पीएम मोदी के बयान की मांग पर अड़ा हुआ है. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मणिपुर मुद्दे पर सदन में लगातार व्यवधान पर अफसोस जताया और कहा कि यह आचरण उच्च सदन की गरिमा के अनुरूप नहीं है. उन्होंने कहा कि हंगामे की वजह से ‘हम जनता में उपहास के पात्र बन रहे हैं.’ उन्होंने बताया कि आज उन्हें नियम 267 के तहत कुल 60 नोटिस मिले हैं जो उचित प्रारूप में नहीं हैं, इसलिए उन्हें नामंजूर कर दिया गया है.
सभापति ने मणिपुर मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अल्पकालिक चर्चा की मंजूरी दी थी और 31 जुलाई को उसके लिए समय निर्धारित किया गया था लेकिन सदन में हंगामे की वजह से चर्चा नहीं हो सकी. उन्होंने गतिरोध दूर करने के लिए सोमवार को विभिन्न दलों के साथ उनकी बैठक का उल्लेख करते हुए कहा कि विपक्षी सदस्य इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की मांग कर रहे हैं. उन्होंने इस क्रम में 2014 में वरिष्ठ सदस्य सीताराम येचुरी की एक मांग पर आसन द्वारा दी गई व्यवस्था का भी जिक्र किया और कहा कि सरकार में सामूहिक जिम्मेदारी होती है.
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धनखड़ ने कहा, "मैं सदस्यों से अपील करता हूं कि वे गंभीरता से आत्मचिंतन करें और बातचीत एवं संवाद के अवसर को नहीं गंवाएं क्योंकि इससे इस उच्च सदन में सदस्यों द्वारा ली गई शपथ का सार पूरा नहीं होगा. इस दौरान विपक्षी सदस्य मणिपुर मुद्दे को लेकर हंगामा और नारेबाजी करते रहे. वे प्रधानमंत्री से सदन में आने की भी मांग कर रहे थे. हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से शांत होने की अपील करते हुए धनखड़ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि वे इस संबंध में चर्चा नहीं चाहते हैं.
सदन में खड़गे को बोलने नहीं दिया गया- कांग्रेस
कांग्रेस के प्रवक्ता जयराम रमेश ने बाद में एक ट्वीट में कहा कि विपक्ष ने आज भी प्रधानमंत्री से सदन में आने और मणिपुर मुद्दे पर बयान देने की मांग की. उन्होंने आरोप लगाया कि नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरड़े को बोलने का मौका नहीं दिया गया और विपक्षी गठबंधन के सदस्यों ने करीब 12:30 बजे सदन से वाकआउट किया. सभापति धनखड़ ने कहा कि प्रश्नकाल संसदीय लोकतंत्र का दिल होता है जिसमें सरकार से सवाल पूछने और कार्यपालिका की जवाबदेही तय करने का दुर्लभ मौका मिलता है. उन्होंने प्रश्न पूछने वाले सदस्यों के सदन में मौजूद नहीं होने को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि कुछ सदस्य सवाल पूछते हैं और वे भाग्यशाली होते हैं कि उनके सवाल चुन लिए जाते हैं और तारांकित सवालों की सूची में उनके सवाल शामिल हो जाते हैं. सभापति ने अफसोस जताया कि लेकिन इसके बाद भी कई बार सदस्य सवाल पूछने के मौके का फायदा नहीं उठाते.
उन्होंने कहा कि ऐेसे सदस्यों को आत्मचिंतन करने की जरूरत है कि क्या वे अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं और क्या वे आम लोगों के कल्याण के बारे में सही तरीके से विचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘संविधान की शपथ लेकर अगर हम लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतरते हैं तो क्या हम अपने कर्तव्य का सही तरीके से पालन कर रहे हैं. सभापति ने सदस्यों से प्रश्नकाल को उपयोगी बनाने की अपील की ताकि आम लोगों के जीवन में परिवर्तन आ सके. उन्होंने सदन में मौजूद सदस्यों से कहा कि वे सदन के बाहर विपक्ष के सदस्यों से इस बारे में बात कर उन्हें समझाएं कि प्रश्नकाल बहुत महत्वपूर्ण होता है और इससे आम आदमी की समस्याओं को लेकर सरकार से प्रश्न पूछे जा सकते हैं. भोजनावकाश के बाद जब सदन में बहुराज्य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक पर चर्चा चल रही थी तो मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की मांग करते हुए. (इनपुट- भाषा)
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संसद में नहीं थम रहा गतिरोध, मणिपुर मुद्दे पर PM मोदी के बयान पर अड़ा विपक्ष