डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े द्वीपों का नामकरण परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर किया है. उन्होंने कहा कि इन द्वीपों पर गुलामी की छाप थी, जिसे अब हमेशा के लिए मिटा दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर द्वीपों का नाम रखे जाने से, ये आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा के स्थल बनेंगे. अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में नेताजी का स्मारक लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना का संचार करेगा. लोग अब हमारे इतिहास के बारे में जानने के लिए अंडमान जा रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दिल्ली और बंगाल से लेकर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह तक पूरा देश नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है, उनसे जुड़ी विरासत को सहेज रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले की सरकारों को घेरते हुए कहा कि चाहे हमारे हिमालयी राज्य हों, विशेषकर पूर्वोत्तर के राज्य हों या फिर अंडमान निकोबार जैसे समुद्री द्वीप क्षेत्र, इन्हें लेकर यह सोच रहती थी कि ये तो दूरदराज के दुर्गम और अप्रासंगिक इलाके हैं. इसी सोच के कारण ऐसे क्षेत्रों की दशकों तक उपेक्षा हुई. उनके विकास को नजरअंदाज किया गया. अंडमान निकोबार द्वीप समूह इसका भी साक्षी रहा है.
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द्वीपों पर थी गुलामी की छाप, क्यों पीएम ने कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्वीपों पर गुलामी की छाप की बात दो वजहों से कही हैं. इन 21 द्वीपों का कोई नाम नहीं था. ये खाली पड़े थे. प्रधानमंत्री मोदी ने इन्हें अलग पहचान देने की कोशिश की. दूसरी वजह भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताई है. उन्होंने कहा कि अंडमान की धरती वो भूमि है, जहां देश में पहली बार तिरंगा फहराया गया था. उन्होंने कहा कि अंडमान में ही पहली आजाद भारतीय सरकार का गठन किया गया. अंडमान की धरती पर वीर सावरकर और उनके जैसे अनगिनत वीर देश के लिए बलिदान हो गए. स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान को दबाने का प्रयास किया गया, लेकिन आज पूरा देश उन्हें याद कर रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह इसलिए भी कहा है क्योंकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ऐतिहासिक महत्व और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृति में वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने रॉस द्वीप का नामकरण नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप के तौर पर किया था. इसी प्रकार नील द्वीप का नाम बदलकर शहीद द्वीप और हेवलॉक द्वीप का नाम स्वराज द्वीप किया गया था.
21 द्वीपों का नाम किन जवानों के नाम पर रखा गया है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े अनाम द्वीपों को नाम दिया. इन द्वीपों का नाम मेजर सोमनाथ शर्मा, सूबेदार और कैप्टन करम सिंह, द्वितीय लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राणे, नायक जदुनाथ सिंह, मेजर शैतान सिंह, कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हामिद, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, मेजर होशियार सिंह, सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों, मेजर रामास्वामी परमेश्वरन, नायब सूबेदार बाना सिंह, कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय , सूबेदार मेजर संजय कुमार और सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव (रिटायर्ड) के नाम पर रखा गया है. इन सभी जवानों को परमवीर चक्र मिला है.
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देश के भविष्य को नई दिशा देगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'यहां के द्वीप हमारी समृद्ध आदिवासी परंपरा की धरती भी रहे हैं. अपनी विरासत पर गर्व की भावना, इस परंपरा के लिए भी आकर्षण पैदा कर रही है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े स्मारक और अन्य प्रेरणा स्थल देशवासियों में यहां आने के लिए उत्सुकता पैदा करते हैं. आने वाले समय में यहां पर्यटन के और असीम अवसर पैदा होंगे.’’ इस द्वीप समूह में इंटरनेट सेवाओं के विस्तार कार्यों का उल्लेख करते प्रधानमंत्री ने कहा कि अतीत में अंडमान निकोबार द्वीप समूह ने आजादी की लड़ाई को नई दिशा दी थी, उसी तरह भविष्य में यह क्षेत्र देश के विकास को नई गति देगा.' (इनपुट: भाषा)
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अंडमान-निकोबार के द्वीपों पर थी गुलामी की छाप, प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कहा, जानिए