Pamban Bridge tragedy 1964: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रामनवमी के अवसर पर तमिलनाडु के रामेश्वरम में नए पंबन पुल का उद्घाटन किया. यह पुल भारत के मेनलैंड को पंबन द्वीप से जोड़ेगा, जिससे रामेश्वरम की यात्रा अब और सुगम हो जाएगी. इसी पंबन ब्रिज के साथ एक खौफनाक कहानी जुड़ी हुई है. 

वो 15 दिसंबर 1964 का दिन था. मौसम विभाग ने साउथ अंडमान में बन रहे एक भयंकर तूफान की चेतावनी दी थी. इसके बाद अचानक मौसम ने करवट ली और तेज तूफान के साथ झमाझम बारिश होनी शुरू हो गई. 21 दिसंबर तक मौसम ने विकराल रूप ले लिया. इसके बाद, 22 दिसंबर 1964 को श्रीलंका से चक्रवाती तूफान ने करीब 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भारत की ओर रुख किया. इस दौरान तूफान तमिलनाडु के 'पंबन आईलैंड' से टकराने के बाद वेस्ट नॉर्थ वेस्ट की ओर 280 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ने लगा. तूफान की रफ्तार इतनी ज्यादा थी कि लोगों के बीच हाहाकार मच गया. इसी बीच 22 दिसंबर 1964 का दिन आ गया. 

शाम के करीब 6 बज रहे थे. तमिलनाडु के पंबन आईलैंड के 'धनुषकोडी रेलवे स्टेशन' पर हर रोज की तरह हलचल थी. स्टेशन मास्टर आर. सुंदरराज तूफान और बारिश के बीच अपनी ड्यूटी खत्म करके घर लौट चुके थे. रात करीब 9 बजे पंबन से धनुषकोडी तक चलने वाली 'पैसेंजर ट्रेन- 653' 100 यात्रियों को लेकर 'धनुषकोडी रेलवे स्टेशन' की तरफ निकली. फिर 11 बजकर 55 मिनट पर यह ट्रेन धनुषकोडी रेलवे पहुंचने ही वाली थी कि तभी चक्रवाती तूफान और तेज हो गया. तेज बारिश और तूफान के कारण सिग्नल में खराबी आ गई थी. इसके बाद लोको पायलट ने ट्रेन धनुषकोडी स्टेशन से कुछ दूरी पर रोक दी. काफी देर तक इंतजार करने के बाद जब लोको पायलट को कोई सिग्नल नहीं मिला तो उन्होंने रिस्क लेते हुए तूफान के बीच ही ट्रेन आगे बढ़ा दी.

रेल हादसे में मौत का आंकड़ा

ट्रेन समंदर के ऊपर बने 'पंबन ब्रिज' से धीरे-धीरे गुजर रही थी. इसी के साथ समंदर की लहरें भी और तेज होने लगीं. अचानक लहरें इतनी तेज हो गईं कि 6 डिब्बों की इस ट्रेन में सवार 100 यात्रियों और 5 रेलवे कर्मचारियों समेत कुल 105 लोग समंदर की गहराई में समा गए. हालांकि, इस ट्रेन हादसे में मरने वालों का सही आंकड़ा नहीं पता चल सका है. रेलवे सुरक्षा आयोग (CRS) की रिपोर्ट में कहा गया था कि ट्रेन में 100 से 110 यात्री और 18 रेलवे कर्मचारी थे, जिनकी मौत हो गई. कुछ अनुमानों के अनुसार यह संख्या 250 तक हो सकती है. कहा जाता है कि यह चक्रवाती तूफान भारत में आए अब तक के सबसे खतरनाक तूफानों में से एक था.

मिट गया था स्टेशन का नामोनिशान

इस तूफान की तबाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 'धनुषकोडी रेलवे स्टेशन' का नामोनिशान ही मिट गया था. इस चक्रवाती तूफान के चलते 1,500 से 2,000 लोगों की जान गई थी. केवल धनुषकोडी में ही 1000 से अधिक लोग मारे गए थे.


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नए पंबन ब्रिज की विशेषताएं

नया पंबन ब्रिज भारत का पहला वर्टिकल सी-लिफ्ट ब्रिज है. इसकी लंबाई 2.08 किलोमीटर है और इसमें 99 स्पैन हैं. इसमें 72.5 मीटर लंबा वर्टिकल लिफ्ट स्पैन है, जो 17 मीटर तक ऊंचा उठ सकता है. इससे बड़े जहाजों के आसानी से गुजरने की सुविधा होगी, जबकि ट्रेन संचालन में कोई बाधा नहीं आएगी. इस पुल को बनाने में 550 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई है. पुल की संरचना को मजबूती देने के लिए 333 पाइल्स और 101 पियर्स/पाइल कैप्स का उपयोग किया गया है. बता दें, पुराने पंबन पुल का निर्माण 1911 में शुरू हुआ था और 1914 में इसे यातायात के लिए खोल दिया गया था.

 

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Pamban Bridge Tragedy In 1964 train sank into the sea while PM Modi inaugurated Tamilnadu Pamban Bridge know the painful story of that terrible accident
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1964 में समंदर में समा गई थी ट्रेन, वहीं PM मोदी ने किया पंबन ब्रिज का उद्घाटन
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1964 में समंदर में समा गई थी ट्रेन, वहीं PM मोदी ने किया पंबन ब्रिज का उद्घाटन, जानें उस भीषण हादसे की दर्दनाक कहानी

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