India Pakistan Ceasefire: 10 मई की शाम को जब विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने ऐलान किया कि भारत और पाकिस्तान के DGMO की बात हो गई है. दोनों के बीच युद्ध विराम की सहमति बनी है तो लोगों ने राहत की सांस ली. लेकिन ये राहत कुछ घंटों की ही रही. पाकिस्तान ने रात 9 बजे के करीब सीज़फायर का उल्लंघन कर दिया और जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में ड्रोन अटैक करने लगा.
Ceasefire के मामले में बेकार है पाकिस्तान का रिकॉर्ड
Ceasefire के मामले में पाकिस्तान का रिकॉर्ड खराब ही रहा है. वो युद्ध विराम के लिए सहमति तो देता है, पर समझौते का पालन नहीं करता है. फरवरी, 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे नवाज़ शरीफ ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए. दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू की गई, इस बस को भारत और पाकिस्तान के रंगों से रंगा गया था. इसे वाजपेयी ने वाघा बॉर्डर से विदा किया और दूसरी तरफ नवाज़ शरीफ ने बस का स्वागत किया. लेकिन उसी साल मई में पाकिस्तान ने भारतीय सीमा पर घुसपैठ की कोशिश की और फिर करगिल युद्ध छिड़ गया.
साल 2001 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री परवेज़ मुशर्रफ पीस समिट के लिए आगरा आए. लेकिन इसके छह महीने बाद ही संसद भवन पर आतंकी हमला हो गया. ये हमला जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने किया था.
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भारत को थी पाकिस्तान के धोखे की भनक
बार-बार पाकिस्तान की वादाखिलाफी झेल चुके भारत को पहले से भनक थी कि पाकिस्तान एक बार फिर ऐसा कर सकता है. इसलिए दोनों देशों के DGMO की बात हो जाने के बाद और सीज़फायर का ऐलान करने से पहले भारत ने एक स्टेटमेंट जारी किया. इसमें भारत ने कहा कि भविष्य में आतंकवाद की किसी भी घटना को भारत एक्ट ऑफ वॉर की तरह देखेगा. ऐसा होने पर वह कड़े एक्शन लेगा.
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भरोसे के लायक नहीं है पाकिस्तान, सीज़फायर के मामले में बहुत खराब रहा है रिकॉर्ड