पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की जान चली गई. आतंकवादियों ने निर्दयता से पर्यटकों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं. इस हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चल रहा है. भारत सरकार ने हमले के बाद कई बड़े फैसले लिए हैं, साथ ही पाकिस्तान के साथ कोई भी संबंध रखने से इनकार कर दिया है. पहलगाम में हुए घातक हमले के बात भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बनते जा रहे हैं.इस बीच भारत सरकार ने राज्यों को युद्ध की स्थिति को लेकर मॉक ड्रिल करने का आदेश दिया है. इससे जंग की आशंका और बढ़ गई है. आपको बता दें कि 54 साल पहले भी भारत सरकार ने ऐसा आदेश दिया था.
कब हुई थी मॉक ड्रिल
1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध आधिकारिक तौर पर तीन दिसंबर को शुरू हुआ था और 16 दिसंबर को खत्म हुआ था. पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने ढाका में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था. लेकिन युद्ध की बात से काफी दिनों पहले से ही तनाव बढ़ गया था. बताया जाता है कि मॉक ड्रिल्स की शुरुआत युद्ध से कुछ दिन पहले हुई थी. तमाम मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह मॉक ड्रिल युद्ध से दो-चार दिन पहले शुरू हुई और युद्ध की समाप्ति तक चली थी. इस दौरान देश भर में सिविल डिफेंस की तैयारियां की गईं. इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य जनता को युद्ध की स्थिति से जागरूक करना था.
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क्या-क्या हुआ था मॉक ड्रिल के दौरान
मॉक ड्रिल के दौरान रात में शहरों में लाइट बंद करने की प्रैक्टिस की गई, ताकि दुश्मन के हवाई हमलों से बचा जा सके. इसके साथ ही जनता को बंकर या सुरक्षित जगहों पर ले जाने की भी ट्रेनिंग दी गई थी. उन्हें बताया गया कि हवाई हमले या बमबारी की स्थिति में कैसे अपनी जान बचाई जा सकती है.
कई लोगों ने उस समय की बात को याद करते हुए बताया कि मॉक ड्रिल के दौरान सायरन बजते ही एकदम अफरातफरी मच जाती थी. जो घर के बाहर होते थे वे अंदर घुस जाते थे और जो घरों से दूर होते थे, वे वहीं जमीन पर लेट जाते थे. सभी ने घरों की खिड़कियों पर काला पेंट पोत दिया था. बड़े लोग बात करते थे कि अगर बीड़ी भी पी तो उसकी लाइट से भी बम गिर सकता है.
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सांकेतिक चित्र
सायरन बजते ही जमीन पर..., 54 साल बाद फिर से होने जा रहा मॉक ड्रिल, जानें 1971 के दैरान क्या-क्या हुआ था