डीएनए हिंदी: साइबर ठग अब बीमा एजेंट्स को अपना शिकार बना रहे हैं. इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के नाम पर वे एजेंट्स के साथ ठगी कर रहे हैं. पहले ठग कह रहे हैं कि उन्हें पॉलिसी लेनी है. साइबर ठग एजेंट्स को भरोसे में लेने के लिए पहले थोड़ी रकम ऑनलाइन ट्रांसफर कर रहे हैं. रिटर्न में कह रहे हैं कि एक बार आप पैसे भेजकर ट्राई करें जिससे बैंकिंग डीटेल्स शेयर हो सकें. भोले-भाले एजेंट इन्हीं ठगों के जाल में फंसकर रकम ट्रांसफर करते हैं और गलती से ओटीपी फ्रॉड का शिकार हो जाते हैं. आइए जानते हैं कैसे.

भवानी प्रसाद एक बीमा एजेंट हैं. वह बीते 15 साल से लाइफ इंडिया कॉर्पोरेशन में अभिकर्ता हैं. उनके साथ शुक्रवार को ही एक ऐसी ठगी हुई है. उन्हें साहिल नाम के एक शख्स ने कॉल किया. कॉल करने वाले ने कहा कि उसकी कंपनी बीमा कराना चाहती है. इसके लिए आप अपने आधार और पैन कार्ड डीटेल्स शेयर कर दें. जिस पर फोन पे या दूसरे पेमेंट्स ऐप हों, वे नंबर भी शेयर कर दें. उन्होंने जरूरी फोन समझकर सारी डीटेल्स शेयर कर दी. थोड़ी देर बाद एक शख्स ने उन्हें अधिकारी बनकर फोन किया.

कॉल करने वाले शख्स ने कहा, 'मैं अपनी कंपनी का बीमा कराना चाहता हूं. पहले हमें कुछ टेस्ट करने होंगे. मैं थोड़ी रकम आपके अकाउंट में भेज रहा हूं. मिले तो बताइए कि रकम मिली या नहीं.'

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शख्स ने 1 रुपये का ट्रांजैक्शन बीमा एजेंट के खाते में किया. थोड़ी देर बाद 14,000 रुपये भेजने के लिए कहा. उसने भेज दिया. फिर कहा कि ये पैसे ट्रांसफर कर दें क्योंकि यही प्रॉसेस है. फिर उसने बीमा एजेंट्स के कुछ 1,000 और 2,000 रुपये के ट्रांसजेक्शन करने को कहा.  बीमा एजेंट को लगा कि यह मामला सही है. उन्होंने रकम शेयर कर दी. उसके बाद फोन करने वाला शख्स गायब हो गया. वह न फोन उठा रहा था. उसने सारी चैट डिलीट कर दी. और बीमा एजेंट को 3,000 रुपये का चूना लग गया.

अगर ठगी का शिकार हों तो क्या करें?

अगर आपके साथ भी ऐसी ठगी हुई तो तत्काल www.cybercrime.gov.in लिंक पर जाकर अपनी शिकायत रजिस्टर कराएं. पुलिस स्टेशन में जाकर आप साइबर सेल में भी अपने खिलाफ हुई धोखाधड़ी के बारे में जानकारी दे सकते हैं. साइबर अपराधों से जुड़े मामलों की शिकायत हेल्पलाइन नंबर 155260 पर की जा सकती है.बैंक अकाउंट से जुड़े फ्रॉड के मामले भी यहीं दर्ज कराए जा सकते हैं. 

साइबर सेल में कैसे करें शिकायत?

अगर आपके साथ बैंकिंग फ्रॉड हुआ है तो अपना बैंक अकाउंट, ट्रांजैक्शन डीटेल्स और अपने बैंक कार्ड से संबंधित विवरण पुलिस को दें. अगर आपके पास सबूत के तौर पर स्क्रीन शॉट्स हैं तो उन्हें भी दें. जैसे ही आप ऑनलाइन कंप्लेन दर्ज कराते हैं आपकी एक आईडी क्रिएट होती है. आईडी और पासवर्ड याद रखें. पुलिस बैंक से संपर्क करती है. कई मामलों में पैसे रिकवर हो जातें है, कई मामलों में ऐसा कर पाना नामुमकिन हो जाता है.

कैसे कठघरे में लाए जा सकते हैं साइबर अपराधी?

साइबर क्राइम से जुड़े ज्यादातर मामले IT एक्ट 2000 के तहत चलते हैं. अपराधियों के खिलाफ धारा 43, 65, 66 और 67 के तहत केस चलते हैं. IPC की धारा 420, 120बी और 406 के तहत भी केस चल सकता है.

क्या बैंकिंग फ्रॉड के शिकार लोग वापस पा सकते हैं पैसे?

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के मुताबिक अगर आप बैंकिंग फ्रॉड के शिकार हुए हैं तो 90 दिनों के भीतर संबंधित बैंक को अपने साथ हुई घटना के बारे में सूचित करें. कैसे फ्रॉड हुआ है, इसकी जानकारी बैंक को जरूर दें. अगर आपकी लापरवाही की वजह से पैसे नहीं कटें हैं तो पूरा पैसा बैंक रिफंड करने के लिए बाध्य है. अगर आपके ओटीपी या जरूरी विवरण शेयर करने की वजह से फ्रॉड हुआ है तो जितनी रकम गई है उसे बैंक रिफंड करे यह जरूरी नहीं है. बैंक को सूचना देने के बाद भी अगर फ्रॉड होता है तब आपके पैसे रिफंड हो सकते हैं. 

साइबर फ्रॉड से बचने के लिए क्या करें?

सोशल मीडिया पर अपनी गोपनीय जानकारियां कभी न शेयर करें. किसी भी स्थिति में ओटीपी किसी के साथ शेयर न करें. एक ओटीपी शेयर करने की वजह से आप कंगाल हो सकते हैं. ऐसे कई मामले आए हैं जब लोगों ने ओटीपी और बैंकिंग विवरण शेयर कर लाखों गंवाए हैं. डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड का पिन, सीवीवी नंबर किसी के साथ शेयर न करें. आधार और पैन कार्ड के विवरण भी किसी से शेयर न करें. किसी भी दशा में कोई ऑनलाइन बैंकिंग ऐप या पेमेंट ऐप के जरिए अनजना शख्स ट्रांसफर न करें. आप पैसे बेशक मंगाएं लेकिन पैसे ट्रांसफर कभी न करें. वरना आपको ठगी का शिकार होने से कोई नहीं बचा सकता है.

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अब बीमा के नाम ठगी का शिकार हो रहे एजेंट्स
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साइबर अपराधियों का बढ़ता जा रहा है जाल, सावधानी से करें बैंकिंग ट्रांजैक्शन.
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साइबर अपराधियों का बढ़ता जा रहा है जाल, सावधानी से करें बैंकिंग ट्रांजैक्शन.

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अलर्ट: बीमा एजेंट्स को भी ठग रहे साइबर क्रिमिनल, मिनटों में बैंक अकाउंट हो रहा खाली, जान लें बचाव के टिप्स