सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए लेडी डॉक्टर के साथ रेप-मर्डर केस में सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि बलात्कार-हत्या मामले में किसी को भी पीड़िता का नाम और फोटो प्रकाशित करने की अनुमति नहीं है. अदालत ने इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि वह जारी कार्य को 15 अक्टूबर तक पूरा करे.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ को बताया कि पीड़िता के माता-पिता सोशल मीडिया में बार-बार उसके नाम और तस्वीरों का खुलासा करने वाली क्लिप से परेशान हैं. इसपर पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर पहले ही आदेश पारित कर चुकी है और आदेश को लागू करना कानून लागू करने वाली एजेंसियों का काम है.
14 अक्टूबर को होगी सुनवाई
अदालत ने पूर्व के आदेश को स्पष्ट करते हुए कहा कि सोशल मीडिया के किसी भी मंच के लिए पीड़िता का फोटो या उसका नाम उजागर करने की अनुमति नहीं है. पीठ ने कहा कि सीबीआई की जांच में ठोस सुराग मिले हैं और उसने कथित बलात्कार और हत्या तथा वित्तीय अनियमितताओं दोनों पहलुओं पर बयान दिए हैं. मामले में फिलहाल सुनवाई जारी है. कोर्ट ने तुषार मेहता को राष्ट्रीय कार्य बल की प्रगति पर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. अब इस मामले में अगली सुनवाई 14 अक्टूबर होगी.
सु्प्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर को कहा था कि वह रेप-हत्या मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल वस्तु स्थिति रिपोर्ट में दिए गए निष्कर्षों से परेशान है, लेकिन विवरण देने से इनकार करते हुए कहा कि किसी भी खुलासे से जांच खतरे में पड़ सकती है.
कोर्ट ने 22 अगस्त को अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के मामले में FIR दर्ज करने में देरी को लेकर कोलकाता पुलिस को फटकार लगाई और कहा कि यह बेहद परेशान करने वाला था.
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'पीड़िता का नाम और फोटो नहीं कर सकते उजागर', कोलकाता कांड में SC की टिप्पणी