डीएनए हिंदी: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले ही नीतीश कुमार ने विपक्षी गठबंधन को छोड़ अपने पुराने साथी एनडीए का दामन थाम लिया है. विपक्षी एकता की पुरजोर वकालत करने वाले नीतीश कुमार के इस फैसले के पीछे राहुल गांधी को वजह बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि विपक्षी एकता का प्लान जिस तरह से कांग्रेस ने टेकओवर कर लिया उससे नीतीश नाराज थे. इसके अलावा, वह बार-बार कह रहे थे कि पहले सीट शेयरिंग की बात हो जाए और फिर आगे की चर्चा की जाएगी. इन सबके बीच जब बिहार के मुख्यमंत्री को एनडीए का संयोजक नहीं बनाया गया तो उन्होंने अपने रास्ते अलग करने का मन बना लिया. बिहार की 40 लोकसभा सीटों को देखते हुए बीजेपी ने भी उन्हें अपने साथ लाने में देरी नहीं की. 

जिस विपक्षी एकता की बात नीतीश कुमार सबसे आगे बढ़कर कर रहे थे उसी इंडिया गठबंधन को छोड़कर चुनाव से कुछ महीने पहले वह फिर से एनडीए के साथ हो लिए हैं. इस बार अलग होने के बाद उन्होंने खुले तौर पर आरजेडी या तेजस्वी यादव को दोषी नहीं ठहराया है. गठबंधन खत्म होने का ऐलान करते हुए यही कहा कि काम नहीं कर पा रहे थे. इसकी वजह है कि इंडिया गठबंधन में सही सम्मान नहीं मिलने की वजह से नीतीश नाराज थे और उन्होंने अपने रास्ते अलग कर लिए. 

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राहुल गांधी की वजह से नीतीश कुमार ने तोड़ा इंडिया गठबंधन से नाता 
13 जनवरी को वीडियो कांफ्रेंस से मीटिग हुई थी. नीतीश कुमार सीट शेयरिंग नहीं होने पर पहले से ही नाराज थे. उनके मन में इस बात की भी टीस थी कि विपक्षी एकता के उनके प्लान को एक तरीके से कांग्रेस ने टेकओवर कर लिया है. गठबंधन का संयोजक पद वह चाहते थे, लेकिन राहुल गांधी ने कहा कि ममता बनर्जी से राय के बाद फैसला लेंगे. इस घटना के साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री ने एनडीए के साथ जाने का अपना फैसला पक्का कर लिया. आरजेडी के साथ भी उनका मनमुटाव था ही, क्योंकि बिहार में हाल में हुई नौकरियों की भर्ती का श्रेय तेजस्वी यादव को ज्यादा मिल रहा था. 

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इंडिया गठबंधन में अपनी हैसियत से संतुष्ट नहीं थे नीतीश 
सूत्रों का कहना है कि विपक्षी एकता की बात उाने के बाद नीतीश कुमार खुद को अलायंस के बड़े और राष्ट्रीय नेता के तौर पर पेश करना चाहते थे. उनका पूरा जोर था कि सीट शेयरिंग पहले फाइनल किया जाए. कुछ लोग दबी जुबान में ये भी कहते हैं कि जेडीयू सुप्रीमो खुद को पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट किए जाने को लेकर उत्सुक थे. दूसरी ओर इंडिया गठबंधन में न तो उन्हें संयोजक का पद मिला और न ही कोई और बड़ी जिम्मेदारी. कांग्रेस का लंबा रिश्ता जेडीयू के साथ रहा है और नीतीश इसे लेकर भी असहज थे. इन सब वजहों से उन्होंने विपक्षी गठबंधन से दूरी बनाने का मन पक्का कर लिया.

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राहुल गांधी की इस बात की वजह से INDIA को छोड़ NDA में गए नीतीश 
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