डीएनए हिंदी: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता वाली नीति आयोग की बैठक (Niti Aayog Meeting) के दौरान एक बार फिर तल्ख तेवर दिखाए हैं. उन्होंने मोदी सरकार से केंद्र और राज्य के बीच समन्वय के लिए अधिकार आयोग के गठन की मांग कर दी है. इसके साथ ही ममता ने कहा है कि केंद्र सरकार को अपनी योजनाएं राज्यों के मत्थे नहीं थोपनी चाहिए.
दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक में इस बात पर जोर दिया है कि केंद्र को राज्य सरकारों की मांगों को अधिक गंभीरता से लेना चाहिए और उन पर कोई नीति थोपी नहीं जानी चाहिए. सू्त्रों के मुताबिक ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच ‘अधिक सहयोग’ होना चाहिए जिससे समन्वय स्थापित हो सके.
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध
इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने यह भी कहा है कि राज्य सरकारों पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लागू करने के लिए दबाव नहीं डाला जाना चाहिएय पश्चिम बंगाल सरकार एनईपी को लागू करने की इच्छुक नहीं थी. इसने एनईपी की जांच करने और शिक्षा पर राज्य स्तरीय नीति की आवश्यकता का आकलन करने के लिए अप्रैल में विशेषज्ञों की 10 सदस्यीय समिति का गठन किया था. ममता ने कहा है कि केंद्र को राज्यों का अधिक सहयोग करना होगा.
कोविड के बाद पहली अहम बैठक
गौरतलब है कि ममता बनर्जी लंबे वक्त बाद पीएम मोदी की किसी बैठक में शामिल हुई थीं. उन्होंने पिछले साल नीति आयोग की वर्चुअल बैठक में भी भाग नहीं लिया था. आपको बता दें कि रविवार को कोविड-19 महामारी के बाद पहली बार नीति आयोग की प्रत्यक्ष बैठक हुई थी जिसमें पीएम मोदी समेत 23 मुख्यमंत्री तीन उपराज्यपालों एवं सभी केंद्रीय मंत्री और अधिकारी मौजूद थे.
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