डीएनए हिंदी: दुनिया के सतत विकास को लेकर जेनेवा में आयोजित संयुक्त राष्ट्र (United Nation) की एक बैठक पूरे भारत को हैरान कर गई. दरअसल इस बैठक में एक ऐसे देश की प्रतिनिधि ने न केवल हिस्सा लिया बल्कि सवाल पूछने के दौरान भारत को UN के मंच से बदनाम करने की कोशिश भी की, जो देश महज कागजों पर मौजूद है यानी जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है. यह देश है यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलाशा (United States Of Kailasha), जिसे दक्षिण अमेरिका में एक द्वीप खरीदकर खुद को भगवान का अवतार कहने वाले नित्यानंद ने बसाया है. यह वही नित्यानंद (Nithyananda) है, जो दुष्कर्म के आरोप लगने के बाद गिरफ्तारी के डर से भारत छोड़कर भाग गया था और आज तक सरकारी रिकॉर्ड में 'भगोड़ा' घोषित है. नित्यानंद ने खुद ट्वीट कर अपनी प्रतिनिधि की यूएन बैठक में शामिल होने की फोटो शेयर की है, जिसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. दरअसल इसके पीछे संयुक्त राष्ट्र के नियमों का एक झोल है. यह झोल जानने से पहले आइए जान लेते हैं नित्यानंद की कहानी और उसका दावा.
पहले जान लें कौन है नित्यानंद
तमिलनाडु में 1 जनवरी, 1978 को जन्मे नित्यानंद मैकेनिकल इंजीनियरिंग ग्रेजुएट है. 12 साल की उम्र से रामकृष्ण मठ में शिक्षा ले रहा नित्यानंद पढ़ाई पूरी करने पर बाबा बन गया और बेंगलुरु के बिदादी में आश्रम खोल लिया. कई अन्य जगह भी उसने आश्रम खोले. साल 2010 में उसकी एक सेक्स सीडी सामने आई और वह गिरफ्तार भी हुआ, लेकिन जमानत हो गई. साल 2012 में फिर दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ. नवंबर 2019 में उस पर 2 लड़कियों का अपहरण कर बंदी बनाने के बाद दुष्कर्म करने का केस दर्ज हुआ. इस केस में गिरफ्तारी के डर से वह विदेश भाग गया. उसने दक्षिण अमेरिका के इक्वाडोर में एक द्वीप खरीदकर उसे एक नया देश 'यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा' घोषित कर दिया. उसका दावा है कि यह हिंदू राष्ट्र है, जिसका अपना संविधान है. भारत में नित्यानंद भगोड़ा घोषित है.
कैसे भेजी यूएन बैठक में अपनी प्रतिनिधि
स्विट्जरलैंड के जेनेवा में यूएन ने इकोनॉमिक और सोशल राइट्स के साथ सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर बैठक आयोजित की. इस बैठक में ही कैलासा की प्रतिनिधि के तौर पर विजयप्रिया नित्यानंद शामिल हुईं, जो नित्यानंद की तरह ही पारंपरिक वेशभूषा पहने हुए थी. नित्यानंद ने इसे यूएन में कैलासा की स्थायी प्रतिनिधि बताया है, जो दर्जा केवल यूएन के सदस्य देशों को ही हासिल होता है. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा को अब तक किसी दूसरे देश ने तो छोड़िए, इक्वाडोर ने भी एक देश के तौर पर मान्यता नहीं दी है. इसके बावजूद उसकी प्रतिनिधि को यूएन बैठक में शामिल होने का मौका मिलने में नियमों का योगदान है.
यूएन के नियमों के मुताबिक, मानवाधिकार हनन से जुड़ी बैठक में कोई भी व्यक्ति या समूह अपनी बात रख सकता है. इसके लिए उसे महज संयुक्त राष्ट्र के सामने अपना दावा पेश करना होगा. यूएन वेबसाइट के हिसाब से 9 अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधियां हैं, जिनमें सिविल और पॉलिटिकल राइट्स, उत्पीड़न, क्रूरता, अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार, नस्लीय भेदभाव, लैंगिक भेदभाव, दिव्यांग अधिकारों का हनन, लापता लोगों की सुरक्षा, प्रवासी मजदूरों और उनके परिवारों के अधिकारों का हनन, आर्थिक, सामाजिक या सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लंघन और बच्चों के अधिकारों का हनन शामिल है. इन संधियों के तहत होने वाले अधिकारों के उल्लंघन को लेकर कोई भी व्यक्ति या संस्था बैठक में आकर अपनी बात रख सकता है.
कैलासा की प्रतिनिधि ने उगला भारत के खिलाफ जहर
कैलासा की प्रतिनिधि विजयप्रिया ने संयुक्त राष्ट्र बैठक में भारत के खिलाफ जहर उगला. उसने अपने गुरु नित्यानंद को सर्वोच्च हिंदू गुरु बताते हुए उसे सताए जाने का आरोप भारत पर लगाया. विजयप्रिया ने कहा कि नित्यानंद को उसके अपने देश में उपदेश देने के लिए वापस नहीं आने दिया जा रहा है. उसने नित्यानंद और कैलासा की 20 लाख प्रवासी हिंदू आबादी का उत्पीड़न रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है.
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'भगोड़े' नित्यानंद का कागजों पर है देश, फिर भी यूएन में भेजा प्रतिनिधि, जानिए किस नियम का उठाया फायदा