डीएनए हिंदीः स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण (OBC Reservation) को लेकर छिड़ी बहस के बीच बुधवार को योगी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश में ओबीसी आयोग का गठन कर दिया है. यूपी सरकार ने पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया गया है जिसकी अध्यक्षता रिटायर जज राम अवतार सिंह (Ram Avtar Singh) करेंगे. इस आयोग का कार्यकाल छह महीने का होगा. सरकार की ओर से इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी गयी है. आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही यूपी के निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग आरक्षण का निर्धारण होगा.
बता दें कि इस विशेष ओबीसी आयोग के गठन से महज एक दिन पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की अधिसूचना के मसौदे को खारिज कर दिया था और ओबीसी को आरक्षण दिए बगैर स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ का फैसला आने के बाद मंगलवार को सपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्यसभा सदस्य प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने राज्य के पिछड़ा वर्ग के मंत्रियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया था, “निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण खत्म करने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण. उत्तर प्रदेश सरकार की साजिश. तथ्य न्यायालय के समक्ष जानबूझकर प्रस्तुत नहीं किए. उत्तर प्रदेश की 60 फीसदी आबादी को आरक्षण से वंचित किया. ओबीसी मंत्रियों के मुंह पर ताले. मौर्या (केशव प्रसाद मौर्य) की स्थिति बंधुआ मजदूर जैसी!”
आयोग में इन्हें किया गया शामिल
सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग में रिटायर्ड जज राम अवतार सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी बनायी गई है. इसमें रिटायर्ड आईएएस चौब सिंह वर्मा, रिटायर्ड आईएएस महेन्द्र कुमार, भूतपूर्व विधि परामर्शी संतोष कुमार विश्वकर्मा और पूर्व अपर विधि परामर्शी व अपर जिला जज बृजेश कुमार सोनी को आयोग में शामिल किया गया है. आयोग में दो सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और दो रिटायर विधि अधिकारी सहित सभी पांच सदस्य पिछड़े वर्ग से लिए गए हैं. बता दें कि आयोग के अध्यक्ष राम अवतार सिंह और सदस्य चौब सिंह वर्मा जाट समाज से है. संतोष कुमार लुहार और ब्रजेश कुमार स्वर्णकार समाज से है. सेवानिवृत्त आईएएस महेंद्र कुमार चौरसिया समाज से हैं.
इनपुट-एजेंसी
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यूपी सरकार ने OBC आरक्षण के लिए बनाया 5 सदस्यीय आयोग, छह महीने रहेगा कार्यकाल