डीएनए हिंदी: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने खालिस्तानी नेटवर्क के बारे में बड़ा खुलासा है. NIA ने बताया है कि खालिस्तानियों और आतंकियों के गठजोड़ ने भारत में आतंक फैलाने का मजबूत नेटवर्क तैयार किया है. यह नेटवर्क इतना दमदार है कि मल्टीनेशनल प्राइवेट कंपनी की तरह काम करता है. इसमें हायरिंग, डिस्ट्रीब्यूशन और कमाई के टारगेट भी कंपनियों की तरह ही तय किए जाते हैं. एनआईए की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में कहा गया है कि इस नेटवर्क की मीटिंग वर्चुअली होती थी. एनआईए अर्श डल्ला के तैयार किए इस नेटवर्क के बारे में विस्तार से जांच कर रही है.
दूसरी कंपनियों की तरह आतंक फैलाने की ये कंपनी भी रिक्रूटमेंट से इनकम के बीच हर वह तरीका अपनाती है जिससे उसका टारगेट पूरा हो सके. एनआईए ने अपनी चार्जशीट में खुलासा किया है कि खालिस्तान टाइगर फोर्स के आतंकी अर्शदीप सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला ने यह खतरनाक नेटवर्क तैयार किया था. बता दें कि कनाडा में बैठे अर्श डल्ला के बारे में NIA जांच कर रही है और इसी सिलसिले में बुधवार को देश के कई राज्यों में छापेमारी भी हुई थी.
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सबसे पहले होती है हथियारों की सप्लाई
खालिस्तानी आतंकी सबसे पहले इंडो-पाक बॉर्डर के रास्ते ड्रोन के ज़रिए हथियार भेजते हैं. इसके बाद, चुने गए युवाओं को हथियारों की ट्रेनिंग दी जाती है. अर्श डल्ला अपने गैंगस्टर साथी सन्नी डागर के जरिए उन नाबालिग लड़कों को ट्रेनिंग देता था जिनके ऊपर शुरुआत में छोटे-मोटे केस होते थे. ऐसे युवाओं को चुनकर, उनको हथियार चलाने की ट्रेनिंग देकर उनके द्वारा फिक्स किए गए टारगेट को डराने के लिए फायरिंग करने को बोला जाता. एनआईए की सप्लीमेंट्री चार्जशीट के मुताबिक, ये टारगेट आरोपी नंबर 7 देता था.
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मीटिंग और कॉन्फ्रेंस के ज़रिए दिया जाता था टास्क
हथियार और उनको चलाने की ट्रेनिंग देकर खालिस्तानी आतंकी गैंग से जुड़े गुर्गों को टारगेट को डराने के लिए सिग्नल एप्प और दूसरे सोशल मीडया के जरिए कॉन्फ्रेंस भी करवाई जाती थी और उन्हें टिप्स दिए जाते थे. इन लोगों को सिखाया जाता था कि जो भी टारगेट हो उसके और उसके परिवार के बारे में किस तरह से जानकारी इकट्ठी करनी है.
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प्राइवेट कंपनी की तरह चलता है खालिस्तानी नेटवर्क, कमाई का मिलता है टारगेट