डीएनए हिंदी: साल 2011 में जब योगगुरु रामदेव ने कालाधन और अन्ना हजारे (Anna Hazare) की अगुवाई में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन हुआ तब तक सोशल मीडिया पॉपुलर होने लगा था. इसके बावजूद पारंपरिक रूप से चलने वाली राजनीतिक पार्टियां इस दिशा में नहीं सोच रही थीं. अन्ना आंदोलन (Anna Andolan) में लगे युवाओं ने टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल किया. दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी सोशल मीडिया पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहे थे. प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) भी उनकी टीम का हिस्सा हुआ करते थे. अगले कुछ ही सालों में नरेंद्र मोदी सोशल मीडिया का जबरदस्त इस्तेमाल अपने चुनावी कैंपेन में करने वाले थे.
नरेंद्र मोदी आज भी सोशल मीडिया पर सबसे चर्चित भारतीयों में से एक हैं. नरेंद्र मोदी के ट्विटर हैंडल पर 82.4 मिलियन फॉलोवर और फेसबुक पर उनके पेज पर 47 मिलियन लाइक हैं. फॉलोवर के अलावा एंगेजमेंट के मामले में भी नरेंद्र मोदी नेताओं में सबसे आगे हैं. उनकी तस्वीरों और पोस्ट पर लाखों की संख्या में लाइक और कमेंट आते हैं. हालांकि, इस सबकी शुरुआत लगभग डेढ़ दशक पहले हो चुकी थी जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे.
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पीएम कैंडिडेट बनने से पहले ही शुरू कर दिया था डिजिटल कैंपेन
साल 2013 में नरेंद्र मोदी अपने चुनावी कैंपेन की 'अघोषित' शुरुआत कर चुके थे. उन्होंने अपनी राजनीतिक गतिविधियों के बारे में ट्वीट करना शुरू कर दिया था. 2013 में ही वह शशि थरूर जैसे नेताओं को सोशल मीडिया पर पछाड़ चुके थे. इससे पहले 2011-12 में जब कांग्रेस के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन चल रहा था तब भी उनके समर्थक अगले प्रधानमंत्री के रूप में उछालने लगे थे. सोशल मीडिया पर एक सीमित दायरे में ही सही लेकिन युवा पीढ़ी नरेंद्र मोदी से जुड़ी बातें पढ़ने लगी थी. नरेंद्र मोदी के साथ काम करने वाली टीम 'मोदी मॉडल' और 'गुजरात मॉडल' की खूबियां जमकर शेयर करने लगी थी.
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नरेंद्र मोदी की 'आईटी सेल' चुनाव प्रचार के नए तरीके गढ़ रही थी. हजारों की संख्या में सोशल मीडिया हैंडल बनाए जाने लगे थे और उनसे तरह-तरह की जानकारियां शेयर की जाने लगी थीं. मोदी के व्यक्तित्व, गुजरात सरकार के विकास से जुड़े काम और भ्रष्टाचार विरोधी छवि को कांग्रेस के मजबूत विकल्प के तौर पर पेश किया जा रहा था. पीएम कैंडिडेट के तौर पर नरेंद्र मोदी के नाम का ऐलान हो जाने के बाद इस अभियान में और तेजी आ गई. आईटी सेल ने अब नरेंद्र मोदी के साथ-साथ बीजेपी के लिए भी का करना शुरू कर दिया.
2014 की जीत ने बदल दी दुनिया
भले ही नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी का कैंपेन काफी अग्रेसिव और इनोवेटिव था लेकिन किसी को भरोसा नहीं था कि बीजेपी अपने दम पर चुनाव जीत जाएगी. पहली बार ऐसा हुआ कि बीजेपी खुद अपने दम पर पूर्ण बहुमत ले आई और नरेंद्र मोदी चर्चा में आ गए. इस चुनाव ने सोशल मीडिया को बड़ी पहचान दिलाई. पारंपरिक राजनीति करने वाले नेताओं ने सोशल मीडिया को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया. हर पार्टियों के नेताओं ने सोशल मीडिया हैंडल का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया.
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आज के दौर में हर पार्टी अलग-अलग डिजिटल मार्केटिंग एजेंसियों, खुद की आईटी सेल या अन्य प्रोफेशनल्स की मदद ले रही हैं. इसके अलावा नेता भी सोशल मीडिया पर अपने प्रचार-प्रसार के लिए जमकर पैसा खर्च कर रहे हैं. नरेंद्र मोदी ने अपनी जीत से न सिर्फ़ सोशल मीडिया को पहचान दी बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे इस टूल को व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है और इसके ज़रिए लोगों के घर-घर तक पहुंच बनाई जा सकती है.
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Narendra Modi ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके कैसे बदली अपनी किस्मत? 2014 के बाद सेट कर दिया नया ट्रेंड