Mount Everest: दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट अपनी ऊंचाई के कारण हमेशा चर्चा में रहती है. समुद्र तल से 8,849 मीटर (29,032 फीट) की ऊंचाई पर स्थित यह पर्वत विश्व का सबसे ऊंचा पर्वत है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एवरेस्ट की ऊंचाई हर साल बढ़ती जा रही है? इसके पीछे सिर्फ भूगर्भीय गतिविधियां ही नहीं, बल्कि हिमालय में बहने वाली एक खास नदी भी जिम्मेदार है. हिमालय का निर्माण लगभग चार से पांच करोड़ वर्ष पहले भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों के आपस में टकराने से हुआ था. यह प्लेटें आज भी गतिशील हैं, जिससे हिमालय की ऊंचाई में लगातार वृद्धि हो रही है.
हर साल 2 मिलीमीटर की बढ़ोतरी
हाल ही में Nature Geoscience पत्रिका में छपी एक रिसर्च के अनुसार, पिछले 89,000 वर्षों में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई में 15 से 50 मीटर तक का इजाफा हो चुका है. रिसर्च के मुताबिक, हर साल एवरेस्ट की ऊंचाई में लगभग 2 मिलीमीटर की वृद्धि हो रही है, जबकि वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि यह दर केवल 1 मिलीमीटर प्रतिवर्ष होगी. गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में हुए कई रिसर्च से पता चला है कि हिमालय के क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं, जो इस क्षेत्र के पर्यावरण को प्रभावित कर सकती हैं. भूगर्भशास्त्रियों का मानना है कि हिमालय के विकास और उभरने की यह प्रक्रिया न केवल भूकंप का कारण बनती है, बल्कि यह आने वाले समय में भारतीय उपमहाद्वीप के जलवायु और मानसून पर भी प्रभाव डाल सकती है.
क्या है आइसोस्टेटिक रिबाउंड और कैसे बढ़ती है ऊंचाई?
एवरेस्ट की ऊंचाई में वृद्धि का एक मुख्य कारण 'आइसोस्टेटिक रिबाउंड' नामक भूगर्भीय प्रक्रिया है. आसान भाषा में अगर आपको बताएं तो जब किसी क्षेत्र से भारी वजन (जैसे बर्फ या मिट्टी) हट जाता है, तो उस क्षेत्र की जमीन ऊपर की ओर उठने लगती है. उदाहरण के लिए अगर पानी में किसी नाव से सामान उतारा जाता है तब भार से मुक्त होने के बाद नाव पानी में ऊपर उठ जाती है.
अरुण नदी की वजह से बढ़ रही है एवरेस्ट की ऊंचाई
ब्रिटिश और चीनी वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया कि एवरेस्ट की बढ़ती ऊंचाई के लिए अरुण नाम की एक नदी भी जिम्मेदार है. रिसर्च के अनुसार, 89,000 साल पहले अरुण नदी ने अपने पास की एक अन्य नदी को अपने में समाहित कर लिया था. इस घटना को 'रिवर कैप्चर' या 'रिवर पाइरेसी' भी कहा जाता है. यह तब होता है जब एक नदी अपना रास्ता बदलकर दूसरी नदी के बहाव को अपने में समा लेती है. रिसर्च टीम ने देखा कि अरुण नदी की दिशा बदलने के बाद, एवरेस्ट के पास कटाव की प्रक्रिया तेज हो गई. इससे बड़ी मात्रा में चट्टानें और मिट्टी बह गईं और एक विशाल घाटी का निर्माण हुआ. इस कटाव की वजह से आसपास की जमीनें ऊपर उठने लगीं, जिसे ‘आइसोस्टेटिक रिबाउंड’ कहते हैं.
कुल मिलाकर, यह स्पष्ट है कि माउंट एवरेस्ट का विकास सिर्फ भूगर्भीय गतिविधियों का परिणाम नहीं है, बल्कि जलवायु, नदियों का असर भी है. इस कारण, यह कहना मुश्किल है कि भविष्य में एवरेस्ट की ऊंचाई और कितना बढ़ेगी. लेकिन एक बात निश्चित है, माउंट एवरेस्ट अभी भी अपने आकार को बदल रहा है और इससे जुड़ी पहेलियां वैज्ञानिकों के लिए शोध का केंद्र बनी रहेंगी.
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Mount Everest: कैसे बदल रही है दुनिया की सबसे ऊंची चोटी की ऊंचाई? इस नदी के कारण हुआ ये बड़ा बदलाव