लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने रविवार रात 10 उम्मीदवारों की एक लिस्ट जारी कर सभी को हैरान कर दिया. इस लिस्ट में कांग्रेस ने राजधानी दिल्ली की तीनों सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. जिसमें सबसे हैरान कर देने वाला नाम कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार का है. जिन्हें उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रत्याशी और भोजपुरी एक्टर मनोज तिवारी के सामने उतारा गया है. ऐसे में इस सीट का मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है. इस सीट की लड़ाई को अब बिहारी बनाम बिहारी के तौर पर भी देखा जा रहा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इसी सीट से दो बार सांसद रहे मनोज तिवारी के लिए कन्हैया कुमार कितनी बड़ी चुनौती बनेंगे.
साल 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी. इस हिंसा में इलाके के दोनों पक्षों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. उत्तर पूर्वी दिल्ली में लगभग 21 फीसदी मुस्लिम आबादी रहती है. उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर सीलमपुर, मुस्तफ़ाबाद, बाबरपुर, मौजपुर, जफराबाद इलाके में मुस्लिम बड़ी संख्या में रहते हैं. इस बार यहां ध्रुवीकरण हो सकता है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि युवाओं के बीच लोकप्रिय कन्हैया कुमार इन इलाकों के वोट को अपनी ओर खींच सकते हैं.
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में है पूर्वांचल के लोगों की आबादी
बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से आकर बसे पूर्वांचली लोगों की आबादी यहां पर काफी ज्यादा है. वहीं, मनोज तिवारी और कन्हैया कुमार दोनों ही बिहारी हैं, ऐसे में यह मुकाबला टक्कर का हो सकता है. इस सीट पर मनोज तिवारी की अच्छी पकड़ है. इसका अंदाजा दो बातों से लगाया जा सकता है कि दिल्ली के 7 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 6 उम्मीदवार बदले लेकिन मनोज तिवारी का टिकट नहीं कटा, दूसरी बात यह है कि मनोज तिवारी इसी सीट से दो बार सांसद चुने गए हैं. वह छठ के त्योहार पर जनता के बीच दिखाई देते हैं. दूसरी तरफ अगर कन्हैया कुमार की बात करें तो वह बीजेपी के खिलाफ खुलकर बोलते हैं, खासकर वह पीएम मोदी को टारगेट करते देखे जाते हैं. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ प्रेसिडेंट रहे कन्हैया कुमार पर देश विरोधी नारे लगाने सहित कई आरोप लगे और वह जेल भी गए, उसके बाद भी उनके तेवर में कमी नहीं देखी गई. वह हर मंच से बीजेपी के खिलाफ बोलते रहे. उन्होंने अपने भाषणों के जरिए लोगों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई है, खासकर युवाओं पर उनका ध्यान खूब रहता है.
जानिए नॉर्थ ईस्ट दिल्ली का इतिहास
उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आई. 2009 में पहली बार यहां पर लोकसभा का चुनाव हुआ. उस चुनाव में कांग्रेस ने जयप्रकाश अग्रवाल को मैदान में उतारा था, इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी के बीएल शर्मा प्रेम के खिलाफ 59.03 फीसदी वोटों के साथ भारी बढ़त हासिल की थी. इस दौरान बीजेपी सिर्फ 33.71 फीसदी वोट मिले थे. इसके बाद 2014 के चुनाव में बीजेपी ने यहां से मनोज तिवारी को टिकट दिया. इस चुनाव में मनोज तिवारी ने भाजपा के भरोसे को जीत लिया, उन्होंने आम आदमी पार्टी के आनंद कुमार को करीब 1.5 लाख वोटों से हराया था. 2019 में जब इस सीट मनोज तिवारी को को दोबारा उम्मीदवार बनाया गया तो उनके सामने दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित को मैदान में उतारा गया लेकिन मनोज तिवारी से उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली का जातीय समीकरण
इस जिले का एक हिस्सा यूपी तो दूसरा हिस्सा हरियाणा की सीमा से लगता है. इस संसदीय क्षेत्र में घौंडा, सीलमपुर, बुराड़ी, सीमापुरी, गोकलपुर, बाबरपुर, करावल नगर, रोहतास नगर समेत 10 विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है. इस इलाके में अनुसूचित जाति (SC) 16.3 फीसदी, मुस्लिम 20.74 फीसदी, ब्राह्मण 11.61 फीसदी, वैश्य 4.68 फीसदी, पंजाबी 4 फीसदी, गुर्जर 7.57 फीसदी और ओबीसी 21.75 के लोग रहते हैं.
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मनोज तिवारी के लिए कितनी बड़ी चुनौती बनेंगे कन्हैया कुमार? जानें नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली का सियासी दांव-पेंच