डीएनए हिंदी: कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में बदलाव हो चुका है. ढाई दशक के लंबे समय के बाद गांधी परिवार से बाहर के व्यक्ति को पार्टी की कमान संभालने का मौका मिला है. कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव में शशि थरूर को जिस आसानी से मल्लिकार्जुन खड़गे ने हराया, हकीकत में उनकी राह उतनी आसान न होगी. कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आगे सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या वह ट्रैक से उतर चुकी देश की सबसे पुरानी पार्टी को फिर से सत्ता की राह दिखा पाएंगे.
खड़गे के सामने ये समस्याएं
मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने कई बड़ी समस्याएं हैं. उनका सामने सबसे बड़ा चैलेंज हिमाचल और गुजरात विधानसभा चुनाव है. दोनों ही राज्यों में कांग्रेस सत्ता से बाहर है. यहां उसके सामने सत्ता में वापसी करने का चैलेंज है. इसके अलावा खड़गे को राजस्थान और कर्नाटक में चुनाव से पहले पार्टी में गुटबाजी को विराम देना बड़ा चैलेंज होगा.
पढ़ें- गांधी परिवार के वफादार है मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल और प्रियंक रखा बच्चों का नाम
2024 से पहले विपक्ष को कैसे लाएंगे साथ
कांग्रेस के सामने इस समय बड़ी समस्या यह भी है कि छोटे विपक्षी दल उसे आंख दिखा रहे हैं. ममता बनर्जी, टीएमसी, नीतीश कुमार खुद को विपक्ष की तरफ से पीएम पद सबसे बड़ा दावेदार साबित करने पर तुले हैं. ऐसे में मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने यह जिम्मेदारी भी होगी कि वह विपक्षी दलों को कांग्रेस की अगुवाई में एकजुट करें.
पढ़ें- बिखरी पार्टी, रूठे दिग्गज और दिशाविहीन कांग्रेस को कैसे संभालेंगे मल्लिकार्जुन खड़गे?
सियासी जानकारों का क्या है मानना?
सियासी जानकारों का कहना है कि मल्लिकार्जुन खड़गे की सफलता निश्चित ही चुनावों में कांग्रेस की सफलता पर निर्भर करेगी. देश की राजनीति पर करीबी नजर रखने वाले सियासी कमेंटर संजय कुमार मानना है कि इस साल गुजरात, हिमाचल और अगले साल कर्नाटक में होने वाले चुनाव खड़गे का स्ट्राइक रेट तय करेंगे. पार्टी इन राज्यों में बुरे हालातों का सामना कर रही है. संजय कुमार यह भी मानना है कि खड़गे के सामने यह भी बड़ा चैलेंज है कि वह खुद को कैसे गांधी परिवार की रिमोट से न चलने वाला अध्यक्ष कैसे साबित करें.
पढ़ें- कौन हैं कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, जानिए कैसा रहा है सफर
JNU के सेंटर फॉर पोलिटिकल स्टडीज में एसोसिएट प्रोफेसर मनिंदरनाथ ठाकुर का कहना है कि कांग्रेस के सामने हिंदी बेल्ट में वापस समर्थन हासिल करना एक बड़ा चैलेंज है. इसके अलावा यह भी देखना होगा कि क्या मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के लिए एक ऐसा नया सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक विचार डवलप कर सकेंगे जिससे लोगों को आकर्षित किया जा सके और संगठनात्मक ढांचे में सुधार किया जा सके.
2024 के चुनाव बताएंगे खड़गे सफल या असफल
मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए आगे की राह निश्चित रूप से कठिन है, लेकिन पार्टी में कई लोग मानते हैं कि वह इस पद के लिए सही व्यक्ति हैं क्योंकि उनके पास बहुत अनुभव है. वह सभी को साथ लेकर चलते हैं और कांग्रेस के संगठनात्मक कामकाज को अंदर से समझते हैं. उनकी सफलता और असफलता साल 2024 में होने वाले आम चुनावों में पार्टी की सफलता पर काफी निर्भर करेगी.
इनपुट- PTI
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
क्या मल्लिकार्जुन खत्म कर पाएंगे कांग्रेस का 'वनवास'? इन समस्याओं से पार पाना बड़ा चैलेंज