डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र (Maharashtra) की एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) सरकार से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता बहुत खुश नजर नहीं आ रहे हैं. चंद्रकांत पाटिल (Chandrakant Patil) के बयान के बाद राजनीतिक बयानबाजी और तेज हो गई है. शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने चंद्रकांत पाटिल के इसी बयान को आधार बनाकर कहा है कि एकनाथ शिंदे को हमने भारी मन से मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार कर लिया है.
संजय राउत ने दावा किया है कि एकनाथ शिंदे सरकार छह महीने से ज्यादा नहीं चलेगी. दूसरी ओर, शिंदे गुट ने दावा किया कि विद्रोही नेता शेष ढाई साल तक इस पद पर बने रहेंगे और सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी. सांसद संजय राउत ने रविवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष और लोकसभा अध्यक्ष ने शिवसेना के बागी विधायकों और सांसदों के समूह को मान्यता देकर संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया है.
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'शिवसेना को खत्म करने की हो रही है कोशिश'
संजय राउत ने कहा कि यह कार्रवाई एक मंदिर के पुजारी द्वारा दान पेटी को लूटने और मंदिर के न्यासियों द्वारा इसके गुंबद को काटने के समान है. संजय राउत ने शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित अपने साप्ताहिक स्तंभ में दावा किया कि देश में लोकतंत्र के मंदिरों में भी ऐसी ही चीजें हो रही हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को बचाने की कोशिश कर रही है ताकि शिवसेना को खत्म किया जा सके.
संजय राउत क्यों कह रहे हैं यह बात?
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी (MVA) सरकार पिछले महीने शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे के साथ 39 अन्य विधायकों के पार्टी नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह करने के बाद गिर गई थी. एकनाथ शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री पद की और बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. बीजेपी के पास ज्यादा सीटें हैं, देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकिन उन्हें डिप्टी सीएम बनना पड़ा है. यही वजह है कि बीजेपी नेताओं को यह रास नहीं आ रहा है. संजय राउत एकनाथ शिंदे और बीजेपी के गठजोड़ को लेकर आंशका जाहिर कर रहे हैं.
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'लोकसभा में खत्म हो गया है उद्धव का जलवा'
लोकसभा में शिवसेना के 19 सांसदों में से 12 शिंदे खेमे को समर्थन दे रहे हैं. मुख्यमंत्री शिंदे ने मंगलवार को कहा था कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद के निचले सदन में राहुल शेवाले को शिवसेना नेता के रूप में मान्यता दी है.
'विधानसभा अध्यक्ष ने भी तोड़े संवैधानिक नियम'
संजय राउत ने लेख में दावा किया कि महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया और लोकसभा में भी तस्वीर इससे अलग नहीं थी. ‘सामना’ के कार्यकारी संपादक राउत ने कहा कि बागी विधायक और सांसद अब केंद्रीय जांच एजेंसियों की जांच से मुक्त हैं.
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ओम बिरला पर भी नियम तोड़ने का आरोप!
शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता ने दावा किया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला 9 ने पार्टी सांसद विनायक राउत के पत्र का संज्ञान लिए बिना शिवसेना सांसदों के समूह को मान्यता दे दी. विनायक राउत ने सोमवार रात लोकसभा अध्यक्ष को सौंपे अपने पत्र में कहा था कि वह शिवसेना संसदीय दल के ‘विधिवत नियुक्त’ नेता हैं और राजन विचारे मुख्य सचेतक हैं. (भाषा इनपुट के साथ)
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