महाराष्ट्र की राजनीति में नई सरकार गठन के बाद से सीएम देवेंद्र फडणवीस (CM Devendra Fadnavis) और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच तकरार के दावे किए जा रहे हैं. अब ऐसा लग रहा है कि शायद एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम अजित पवार के बीच भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. किसानों के कर्ज माफी वादे पर पवार ने कहा कि सभी चुनावी वादे तुरंत पूरे नहीं हो सकते हैं. दूसरी ओर शिंदे का कहना है कि हर चुनावी वादा तय समय से पूरा होगा. दोनों नेताओं के इस बयान के बाद सियासी गलियारे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि महायुति में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. शिवसेना (UBT) तो कई बार इस सरकार के कार्यकाल पूरा नहीं होने का ऐलान भी कर चुकी है.
शिंदे और पवार दोनों दो छोर पर खड़े नजर आ रहे
दरअसल डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा था कि लाडकी बहन योजना की राशि 1500 से बढ़ाकर 2100 की जाएगी. इसके लिए राज्य सरकार प्रबंधन करने में जुटी है. इधर डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि राज्य के मौजूदा वित्तीय हालात को देखते हुए किसानों को सरकार की स्थिति समझनी चाहिए. न्होंने राज्य के वित्त में संतुलन बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि किसानों को ऋण माफी के ऐलान का इंतजार करने के बजाय समय पर अपना कर्जा चुकाने की कोशिश करनी चाहिए. इससे सरकार को वित्तीय संतुलन बनाने में मदद मिलेगी. पवार ने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार ऋण माफी के वादे पर कायम है, लेकिन सभी चुनावी वादे तुरंत पूरे नहीं हो सकते हैं.
एकनाथ शिंदे नहीं हैं गठबंधन में सहज?
महाराष्ट्र की पिछली सरकार में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री थे, जबकि अजित पवार और देनेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम थे. अब सत्ता के समीकरण बदल गए हैं और खुद शिंदे को डिप्टी सीएम के पद से संतोष करना पड़ रहा है. सरकार गठन के बाद से यह दावा किया जा रहा है कि शिंदे इस गठबंधन में और अपने कद से संतुष्ट नहीं हैं. फडणवीस और अजित पवार के बीच जैसी सहजता है वैसी शिंदे के साथ दोनों शीर्ष नेताओं की सहजता नहीं है.
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महाराष्ट्र में शिंदे और पवार आमने सामने
कर्ज माफी के वादे पर एकनाथ शिंदे अड़े तो Ajit Pawar ने कहा चुनावी वादे पूरे नहीं होते, महाराष्ट्र में महायुति दो फाड़?