डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र (Maharashtra) की महा विकास अघाड़ी सरकार (MVA) कमजोर गठबंधन के सहारे टिकी है. अगर सहयोगी दलों में जरा सी बगावत हो तो मुख्यमंत्री का पद उद्धव ठाकरे संभाल नहीं पाएंगे. अक्टूबर 2019 में शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की वर्षों पुरानी दोस्ती क्या टूटी, सूबे में नए सियासी समीकरण ही बन गए. तब से लेकर अब तक खंडित जनादेश की सरकार लगातार सियासी संकट का सामना कर रही है.
कांग्रेस (Congress), नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) और शिवसेना (Shiv Sena) के बेमेल गठजोड़ के सामने बीजेपी की करारी चुनौती है. बीजेपी और शिवसेना 30 महीनों से अपने-अपने पदों को सुरक्षित करने के लिए 'नंबर गेम' में उलझे हैं. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है लेकिन गठबंधन के धोखे की वजह से सरकार बनाने में बिलकुल भी सक्षम नहीं है.
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महाराष्ट्र की सत्ता में क्या कहते हैं बहुमत के आंकड़े?
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं. बहुमत का आंकड़ा 145 है. कुल विधायकों की संख्या 287 है. शिवसेना विधायक रमेश लटके का हाल ही में निधन हो गया था. अब बहुमत का आंकड़ा 144 है.
शिवसेना गठबंधन और भारतीय जनता पार्टी के अलावा 29 विधायकों का एक समूह बहुत प्रभावित है. इस समूह में कुछ छोटे दल हैं तो कुछ निर्दलीय विधायक भी हैं. राज्य की सत्ता में कायम रहने के लिए फिलहाल इन विधायकों की अहम जरूरत है.
शिवसेना के पास कुल 55 विधायक हैं, एनसीपी के पास कुल 53 विधायक हैं और कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं. स्थानीय दल और निर्दलीय विधायकों के सहारे शिवसेना गठबंधन के पास कुल 169 विधायक हैं. बहुमत के आंकड़े फिलहाल शिवसेना के पास हैं.
बीजेपी के पास हैं कितने विधायक?
भारतीय जनता पार्टी के कुल 106 विधायक हैं. छोटे और निर्दलीय दलों के सहयोग से यह आंकड़ा 114 तक पहुंच जाता है. कुल 5 विधायक ऐसे हैं जिन्हें न तो सत्ता का साथ पसंद है न ही विपक्ष का. सत्ता में बने के रहने के लिए एमवीए सरकार जहां इन विधायकों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है वहीं बीजेपी भी चाहती है कि उनका साथ मजबूत हो.
इसी महीने में राज्यसभा चुनावों के दौरान इन विधायकों के तेवर ऐसे रहे जिसे अपने पक्ष में करने की कोशिश हर गठबंधन ने की. महाराष्ट्र विधान परिषद के चुनावों में भी इनकी ताकत नजर आई.
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महाराष्ट्र एक बार फिर सियासी संकट का सामना कर रहा है. शिवसेना के वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने गुजरात के सूरत में डेरा जमा लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के गृह राज्य में एकनाथ शिंदे की मौजूदगी कई इशारे कर रही है.
क्यों पैदा हुआ है महाराष्ट्र में सियासी संकट?
महाराष्ट्र के सियासी संकट के सूत्रधार एकनाथ शिंदे हैं. शिवसेना सरकार में नंबर 2 की भूमिका वाले एकनाथ शिंदे बगावत पर उतर गए हैं. एकनाथ शिंदे विधानसभा में सदन के नेता हैं. वह अपने समर्थक विधायकों के साथ गायब हो गए हैं. शिवसेना के कम से कम 17 विधायक एकनाथ शिंदे के साथ हैं.
एकनाथ शिंदे सहित कुछ नेता आउट ऑफ रीच चले गए हैं. उन तक कोई संपर्क नहीं कर पा रहा है. दावा किया जा रहा है कि वह गुजरात के एक होटल में ठहरे हुए हैं.
कौन हैं महाराष्ट्र में बगावत का भूचाल लाने वाले एकनाथ शिंदे?
अगर एक नाथ शिंदे विधायकों को तोड़ने में सफल हो जाते हैं तो उद्धव सरकार की विदाई तय है. शिवसेना सरकार अपने अस्तित्व के लिए जूझती नजर आएगी. मध्य प्रदेश, कर्नाटक और अन्य राज्यों में पहले की सरकारों को गिराने के बीजेपी के पिछले ट्रैक रिकॉर्ड पर नजर डालें तो महाराष्ट्र के सत्ता की राह बीजेपी के लिए बहुत मुश्किल नहीं है. अघोषित 'ऑपरेशन कमल' ने एमवीए सरकार को गिरने के कगार पर खड़ा कर दिया है.
एकनाथ शिंदे की वजह से महाराष्ट्र की सियासत अब पूरी तरह से बदल गई है. महा विकास अघाड़ी सरकार बचाने की कोशिशों में जुटी है. शिवसेना नेता संजय राउत और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चह्वाण, अशोक चह्वाण और दूसरे नेताओं की ओर से दावा किया जा रहा है फिलहाल एमवीए सरकार पर कोई खतरा नहीं है.
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महाराष्ट्र की सियासत में क्या है बहुमत का आंकड़ा, शिवसेना और BJP को चाहिए कितने विधायकों का साथ?