डीएनए हिंदी: विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी को हिंदी पट्टी के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बंपर बहुमत मिला. इसके बाद पार्टी ने तीनों राज्यों में नए मुख्यमंत्री बनाए जिसके बाद से बीजेपी के दो दिग्गज नेता नाराज चल रहे हैं. वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान की नाराजगी की खबरों को देखते हुए बीजेपी हाई कमान ने दोनों को मनाने का फैसला कर लिया है. दोनों दिग्गजों को लोकसभा चुनाव के लिए बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. राम मंदिर उद्घाटन के बाद से देश में एक पॉजिटिव लहर सरकार के प्रति है और दूसरी ओर इंडिया गठबंधन बिखरता दिख रहा है. ऐसे वक्त में बीजेपी ने खुद अपने लिए 400 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. बीजेपी न सिर्फ सहयोगियों को एकजुट कर रही है बल्कि अपने नाराज नेताओं को भी साथ ला रही है.
मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने के बाद से वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान नाराज बताए जा रहे हैं. दोनों को पार्टी के कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों से भी दूर देखा गया है. इसे देखते हुए पार्टी हाईकमान ने इनकी नाराजगी दूर करनेकी कोशिश शुरू कर दी है. बीजेपी अपने लिए लोकसभा चुनाव 2024 में 400 सीटों का लक्ष्य रख रही है. ऐसे में जनाधार वाले नेताओं को एकजुट रखना बहुत जरूरी है. वसुंधरा और शिवराज को लोकसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है. शिवराज को भोपाल या विदिशा की सीट से उतारा जा सकता है. वसुंधरा को झालवाड़ की सीट से उतारने की योजना है.
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जनाधार वाले नेताओं की अनदेखी नहीं करना चाहती बीजेपी
बीजेपी इस बार बेहद आक्रामक अंदाज में लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. आर्टिकल 370 को हटाना और राम मंदिर दो ऐसे मुद्दे हैं जिनसे बीजेपी ऐतिहासिक जीत हासिल करने की उम्मीद कर रही है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों अहम राज्य हैं और इन दोनों प्रदेशों में वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान का खासा प्रभाव है. ऐसे में नेताओं की सक्रियता कम होने का फायदा विपक्षी दल उठा सकते हैं. बीजेपी ने इसलिए दोनों नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी देने का मन बनाया है. कहा तो यहां तक जा रहा है कि आश्वासन मिलने के बाद दोनों ने अपनी सक्रियता तेज कर दी है.
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पुराने सहयोगियों को भी साथ लाने की कवायद
बीजेपी हिंदी पट्टी ही नहीं दक्षिण के राज्यों में भी अपने लिए सफलता तलाश रही है. ऐसे वक्त में पार्टी ने एनडीए के पुराने सहयोगियों को एक-एक कर साथ लाना शुरू कर दिया है. नीतीश कुमार तो एनडीए के साथ बिहार की सत्ता में वापसी भी कर चुके हैं. खबर है कि चंद्रबाबू नायडू के साथ भी बातचीत शुरू हो गई है. पिछले दिनों नायडू को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में देखा गया था. इसके अलावा, अकाली दल से भी फिर से रिश्ता जोड़ने की बात दबे लहजे में कही जा रही है.
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