डीएनए हिंदी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बर्फीले तूफान की चपेट में आए पर्वतारोही दल के 10 और सदस्यों के शव शुक्रवार को बरामद कर लिए गए. द्रोपदी का डांडा-2 शिखर से वापसी के दौरान हुए हादसे में मरने वालों की संख्या अब 26 हो गई है. नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIM) ने बताया कि अब भी तीन ट्रेनी पर्वतारोही लापता हैं, जिनकी खोज की जा रही है. उधर, इस रेस्क्यू अभियान के बीच यह चर्चा भी उठने लगी है कि यह जानलेवा हिमस्खलन (Snow Avalanche) कहीं उस मामूली से भूकंप के कारण तो नहीं आया था, जिसके चलते उत्तरकाशी जिले में इस हादसे के करीब वाली जगह पर दो दिन पहले 2 अक्टूबर को भूगर्भ में हलचल महसूस की गई थी. 

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2.5 मैग्नीट्यूड का था भूकंप

Times Of India ने अपनी रिपोर्ट में नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी (National Centre of Seismology) के हवाले से इस भूकंप की जानकारी दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तरकाशी जिले में 2 अक्टूबर को सुबह 10.43 बजे हल्का भूकंप आया था. रिक्टर स्केल पर करीब 2.5 मैग्नीट्यूड वाले इस भूकंप का केंद्र (epicentre) उत्तरकाशी जिले की भटवारी तहसील (Bhatwari tehsil) में नाल्ड गांव (Nald village) के करीब आंका गया था.

बता दें कि द्रोपदी का डांडा-2 शिखर के लिए 25 किलोमीटर लंबा ट्रैक भुक्की गांव (Bhukki village) से शुरू होता है, जो भटवारी तहसील में ही है और नाल्द गांव से बहुत ज्यादा दूर नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुभवी पर्वतारोही और स्थानीय लोगों का मानना है कि इस भूकंप का केंद्र ज्यादा दूर नहीं होने के चलते यह 4 अक्टूबर की सुबह आए हिमस्खलन का कारण हो सकता है. 

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2015 में माउंट एवरेस्ट पर हुआ था ऐसा हादसा

सात बार माउंट एवरेस्ट (Mt Everest) पर चढ़ चुके माउंटेनियर लव राज धर्मसख्तू (Love Raj Dharmshaktu) के मुताबिक, कई बार छोटे भूकंप के कारण भी ग्लेशियर में क्रैक आ जाते हैं और इसके बाद उस पर जरा सा दबाव पड़ते ही बर्फ की ऊपरी पर्त तत्काल टूटकर हिमस्खलन में बदल जाती है. उन्होंने कहा, हम साल 2015 में माउंट एवरेस्ट बेस कैंप के चारों तरफ भूकंप के कारण आए एवलांच को देख चुके हैं. 

उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Uttarakhand State Disaster Management Authority) के कार्यकारी निदेश पीयूष रौतेला भी इस बात को मानते हैं. रौतेला ने कहा, भूकंप के कारण एवलांच और भूस्खलन की घटनाएं होती हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि 4 अक्टूबर के एवलांच के पीछे 2 अक्टूबर का भूकंप कारण था या नहीं, यह जानने के लिए विस्तृत जांच करनी होगी. रौतेला सीनियर जियोलॉजिस्ट (Senior geologist) भी हैं. उत्तरकाशी ट्रैकिंग एंड माउंटेनियरिंग एसोसिएशन (Uttarkashi trekking and mountaineering association) के अध्यक्ष जयेंद्र राणा ने भी इस एंगल पर जांच किए जाने की बात कही है.

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शुक्रवार को बचाव अभियान में क्या-क्या हुआ

  • भारतीय वायुसेना के दो हेलिकॉप्टर ने हर्षिल से उड़ान भरी.
  • इन हेलिकॉप्टर ने बचाव अभियान की टीमों की मदद की.
  • 7 शव बरामद किए गए, जबकि 3 शव बृहस्पतिवार शाम मिले थे.
  • 26 शव अब तक 3 दिन में मिले हैं, जिनमें 24 ट्रेनी व 2 ट्रेनर्स के हैं.
  • 03 ट्रेनी पर्वतारोही अब भी लापता बताए हैं NIM के अधिकारियों ने.

खराब मौसम के कारण शव एंबुलेंस से भेजे गए

उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ने भी 7 शव मिलने की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि अब तक सभी शवों की पुष्ट पहचान नहीं हुई है. मतली बेस कैंप से 4 शव खराब मौसम के कारण हर्षिल हेलीपैड तक ही लाए गए और वहां से उन्हें एंबुलेंस से उत्तरकाशी भेजा गया है. जिन शवों की पहचान हो चुकी है, उनके परिजनों को सूचना दी जा चुकी है.

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Latest News Uttarakhand updates minor earthquake behind Uttarkashi Avalanche 26 bodies recover till now
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उत्तरकाशी में क्या भूकंप के कारण आया था एवलांच, अब तक तलाशे जा चुके हैं 26 शव
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Uttarkashi Avalanche
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उत्तरकाशी में क्या भूकंप के कारण आया था एवलांच, अब तक मिल चुके हैं 26 शव