डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने मोरबी ब्रिज हादसे (Morbi bridge collapse) की जांच की निगरानी गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) को सौंप दी है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को इस हादसे को 'भयानक त्रासदी' बताते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लिया हुआ है, इसलिए वह जांच पर नजर रखे और यह सुनिश्चित करे कि जांच स्वतंत्र तरीके से पूरी हो और सही दिशा में जाए. शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट को यह भी निर्देश दिया कि 143 साल पुराने हैंगिंग ब्रिज का मैनेजमेंट और मेंटिनेन्स संभाल रही एजेंसी और नगर पालिका अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की जाए. इस हादसे में 47 बच्चों समेत कुल 141 लोगों की मौत हो गई थी.
पढ़ें- श्रद्धा के हत्यारे आफताब का Narco Test से पहले होगा पॉलीग्राफी टेस्ट, कोर्ट ने दी अनुमति
नियमित निगरानी करेगा हाई कोर्ट
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India D Y Chandrachud) की अध्यक्षता वाली बेंच इस हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों की याचिका सुन रहे थे. इस याचिका में हादसे की न्यायिक समिति से जांच कराने की मांग की गई है, जिसकी अध्यक्षता किसी रिटायर्ड जज को सौंपी जाए. बेंच ने कहा, यह बहुत भयानक हादसा है, जिसकी नियमित निगरानी की जरूरत है. जांच में दोषियों और कॉन्ट्रेक्ट पाने वाली पार्टी की जिम्मेदारी तय करते हुए आगे बढ़ा जाए. बेंच ने कहा कि गुजरात हाई कोर्ट इस मामले में स्वत: संज्ञान नहीं लेता तो हम ये नोटिस जारी करते.
याचिकाकर्ता ने कहा, खुला घूम रहे हैं दोषी
हादसे में अपने भाई-भाभी को खोने वाले याचिकाकर्ता छावड़ा दिलीप भाई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि दोषी अब भी खुला घूम रहे हैं. उन्होंने कहा, नगर पालिका अधिकारी और मेंटिनेन्स एजेंसी का टॉप मैनेजमेंट अब भी लगातार स्वतंत्र घूम रहे हैं और राज्य पुलिस ने इस मामले में मुश्किल से कोई कदम आगे बढ़ाया है. उन्होंने इसके लिए राज्य में 1 दिसंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव को कारण बताया है.
दिलीपभाई की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने सुप्रीम कोर्ट के सामने मामले की स्वतंत्र जांच की आवश्यकता का मुद्दा उठाया. साथ ही उन्होंने नगर पालिका अधिकारियों की जिम्मेदारी और मेंटिनेंस व मैनेजमेंट संभाल रही एजेंसी की जवाबदेही तय किए जाने की भी मांग की. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को ही जांच की निगरानी सौंप दी है.
पढ़ें- राजीव गांधी हत्याकांड के 6 दोषियों की रिहाई वाले SC के फैसले को चुनौती देगी कांग्रेस
हम हाई कोर्ट पर अविश्वास क्यों करें?
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, हाई कोर्ट ने भी इस मामले में लगातार आदेश पारित किए हैं. हाई कोर्ट अपने स्वत: संज्ञान अधिकार के तहत 'सबकुछ देखने' के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है और यहां तक कि हाई कोर्ट CBI जांच का भी आदेश दे सकता है. हाई कोर्ट हर बात की व्यापक जांच कर सकता है. हम हाई कोर्ट पर अविश्वास क्यों करें?
पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने चिंटल्स इंडिया को भेजा नोटिस, पूछा- बताओ हाल ही में बना स्ट्रक्चर कैसे गिरा?
मृतकों के परिजनों को मुआवजा मिले
शंकरनारायणन ने अपने परिजनों को खोने वालों को उचित मुआवजा दिए जाने की मांग की. इस मांग से सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह सहमत दिखाई दिया. बेंच ने कहा कि मृतकों के परिजनों को मुआवज़ा मिले, इस पहलू का ध्यान रखना होगा.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
सुप्रीम कोर्ट ने मोरबी ब्रिज हादसे को माना भयानक त्रासदी, हाई कोर्ट को दी जांच की निगरानी