डीएनए हिंदी: दिल्ली में हिंदू देवी-देवताओं की पूजा नहीं करने की शपथ दिलाने का विवाद अभी खत्म भी नहीं हुआ है. इस बीच ऐसा ही एक मामला राजस्थान (Rajasthan) में भी सामने आ गया है. भरतपुर (Bharatpur) जिले में एक सामूहिक विवाह सम्मेलन में नवविवाहित जोड़ों को हिंदू देवताओं को भगवान नहीं मानने और पूजा नहीं करने की शपथ दिलाई गई है. इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद राज्य में विपक्ष में बैठी भाजपा (BJP) ने इसे धर्मांतरण की कोशिश बताते हुए हंगामा खड़ा कर दिया है. भाजपा ने इस मामले में कार्रवाई नहीं करने के लिए राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस को घेरने की कोशिश की है.
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11 जोड़ों को यह दिलाई गई शपथ
विवादित सामूहिक विवाह सम्मेलना का आयोजन भरतपुर जिले के कुम्हेर में किया गया था. BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, आयोजन संत रविदास सेवा विकास समिति की तरफ से किया गया था. इस दौरान 11 जोड़ों का विवाह कराया गया. विवाह के बाद इन नवविवाहित जोड़ों को शपथ दिलाई गई, जिसका वीडियो सामने आया है. वीडियो में मंच पर एक व्यक्ति नविवाहित जोड़ों को शपथ दिला रहा है. शपथ में कहा गया, 'मैं कभी ब्रह्मा, विष्णु, महेश को भगवान नहीं मानूंगा. इनकी कभी पूजा नहीं करूंगा. शपथ दिलाने वाला यहीं पर नहीं रुका. जोड़ों को शपथ दिलाई गई, राम और कृष्ण को भी कभी मैं भगवान नहीं मानूंगा और पूजा नहीं करूंगा. मैं गौरी गणपति आदि हिंदू देवी-देवताओं को नहीं मानूंगा.'
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धर्मांतरण का क्यों लग रहा आरोप
नवविवाहित जोड़ों को शपथ दिलाने वाले ने आगे जो बात उनसे कहलवाई, उसके चलते धर्मांतरण का विवाद खड़ा हो गया है. शपथ दिलाई गई, 'मैं यह कभी नहीं मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु अवतार हैं. यह बात मैं पागलपन और झूठी मानूंगा. कभी पिंडदान नहीं करूंगा और ब्राह्मणों से क्रिया कर्म नहीं कराऊंगा. मैं कभी भी बौद्ध धर्म के विरोध में कोई बात नहीं कहूंगा.'
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भाजपा बोली- राजस्थान में लगातार हो रहा हिंदू देवताओं का अपमान
भाजपा ने इस शपथ ग्रहण की वीडियो सामने आने के बाद धर्मांतरण का मुद्दा उठाने के साथ ही इसे हिंदू देवी-देवताओं का अपमान बताया है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया का कहना है कि राजस्थान में हिंदू देवताओं के अपमान की घटनाएं लगातार हो रही हैं, जो अब बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं.
पूनिया ने इसके लिए सत्ताधारी कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, धर्म और आस्था के खिलाफ कदम उठाने का अवसर तभी मिलता है, जब ऐसे लोगों पर सख्ती नहीं होती. ये बेहद चिंताजनक है, क्योंकि इससे समाज में निराशा होती है और विभाजन पैदा होता है.
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समिति ने कहा- बाबा साहेब की प्रतिज्ञाएं याद कराईं
हालांकि विवाह सम्मेलन का आयोजन करने वाली संत रविदास सेवा विकास समिति ने इसे गलत नहीं माना है. समिति संरक्षक अरविंद वर्मा के मुताबिक, मंच से शपथ दिलाने वाले शंकर लाल समिति के वालंटियर हैं और उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया हुआ है. अरविंद ने कहा, शंकर लाल ने मंच से बाबा साहेब आंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाओं को ही बुलवाया है, जो गलत नहीं है. अरविंद ने उल्टा भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि भाजपा बाबा साहेब को तो अपनाना चाहती हैं, लेकिन उनकी प्रतिज्ञाएं ही नहीं पढ़ती है.
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दिल्ली में आप मंत्री ने दिलाई थी ऐसी शपथ
पिछले महीने दिल्ली में भी ऐसी ही शपथ दिलाने पर विवाद हुआ था. बौद्ध महासभा के उस कार्यक्रम में मंच पर दिल्ली की आप सरकार के कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम भी मौजूद थे. बाद में गौतम को इसी विवाद के कारण इस्तीफा देना पड़ा था. साथ ही उन्हें पुलिस पूछताछ का भी सामना करना पड़ा था.
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ब्रह्मा, विष्णु, महेश नहीं हैं भगवान, सामूहिक विवाह सम्मेलन में दिलाई शपथ पर भड़की भाजपा