डीएनए हिंदी: पेट्रोल-डीजल (Petrol diesal price hike) के बढ़ते दामों से आप भी परेशान होंगे. केंद्र सरकार पर इसे लेकर विपक्ष की तरफ से तमाम आरोप लग रहे हैं. यहां तक कि संसद (Indian Parliament) के मानसून सत्र के दौरान भी इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की है. अब सरकार ने संसद के अंदर खुद बताया है कि पिछले फाइनेंशियल ईयर के दौरान ईंधन के दाम 70 से भी ज्यादा बार बढ़ाए गए. इसे लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) ने सरकार के खिलाफ नया मोर्चा खोल दिया है.

आप सांसद के सवाल के जवाब में बताया

आप के राज्य सभा सांसद राघव चड्ढा (Raghav Chadha) ने मानसून सत्र के दौरान सरकार से सवाल पूछा था कि पिछले और मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के दौरान कितनी बार पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी की गई है. सोमवार को पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से इस सवाल का राज्य सभा में लिखित जवाब दिया गया.

78 बार बढ़ा पेट्रोल का दाम और 76 बार डीजल ऊपर चढ़ा

मंत्रालय ने बताया कि फाइनेंशियल ईयर 2021-22 के दौरान पेट्रोल के दाम 78 बार बढ़ाए गए, जबकि डीजल की कीमत में 76 बार बढ़ोतरी हुई. पिछले फाइनेंशियल ईयर के दौरान पेट्रोल की कीमत 7 बार और डीजल की 10 बार घटाई गई थी. हालांकि मंत्रालय ने यह भी बताया कि 280 दिन ऐसे भी रहे हैं, जब पेट्रोल के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई. डीजल के दामों के नहीं बढ़ने वाले दिन 279 रहे हैं. 

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मंत्रालय ने बताया, 2017 से रोजाना होती है दामों की समीक्षा

अपने जवाब में मंत्रालय ने यह भी बताया है कि कांग्रेस नेतृत्व वाले UPA के शासन में 26 जून 2010 को पेट्रोल के दाम सरकार के नियंत्रण से हटाकर मार्केट के उतार-चढ़ाव के हवाले कर दिए गए थे. डीजल के दाम भाजपा नेतृत्व वाले NDA के शासन में 19 अक्टूबर, 2014 को मार्केट के हवाले कर दिए गए थे. 

इसके बाद से पेट्रोलियम कंपनियां ही पेट्रोल-डीजल के दामों में उतार-चढ़ाव का फैसला करती हैं. मंत्रालय ने यह भी बताया कि 16 जून, 2017 से दामों की यह समीक्षा दैनिक आधार पर यानी रोजाना की जाने लगी है. 

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आप सांसद ने बताया इसे आम आदमी की जेब पर डाका

आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा, एक वित्तीय वर्ष में भारत सरकार ने 78 बार पेट्रोल और 76 बार डीज़ल के दाम बढ़ाए हैं. इतनी बार ईंधन के दाम बढ़ाकर केवल एक साल में सरकार ने देश के आम आदमी की जेब पर डाका डाला है. आज से पहले कभी भारत के इतिहास में 70-78 बार पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ाए गए. 

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संसद मे होनी चाहिए महंगाई पर बहस

चड्ढा ने कहा, केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी के जरिए 2016 से 2022 के दौरान 16 लाख करोड़ रुपये कमाए हैं. जो सरकार 70-75-80 बार भाव बढ़ाकर, कभी एक्साइज ड्यूटी, कभी फ्यूल के दाम बढ़ाकर पेट्रोल-डीजल मंहगा करती है, उसकी जिम्मेदारी बनती है कि दामों को नीचे लाए. इसका असर आम आदमी की जरूरत वाली हर कमोडिटी पर पड़ता है. लेकिन सरकार संसद में महंगाई पर बहस तक नहीं करना चाहती. सदन में मंहगाई पर बहस होनी चाहिए. 

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पिछले साल पेट्रोल-डीजल के 70 बार से ज्यादा बढ़े दाम, संसद में दिया सरकार ने जवाब
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पिछले साल पेट्रोल-डीजल के 70 बार से ज्यादा बढ़े दाम, संसद में दिया सरकार ने जवाब, जानिए क्यों हुआ ऐसा