डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश को 'मेक इन इंडिया' के तहत स्वदेशी हथियारों के उत्पादन का हब बनाने की कवायद अब तेजी से परवान चढ़ पाएगी. उत्तर प्रदेश में बन रहे यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (Uttar Pradesh Defence Industrial Corridor) का चीफ नोडल ऑफिसर पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया (Air Chief Marshal RKS Bhadauria) को बना दिया गया है. एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने इस पद पर जॉइन भी कर लिया है. भदौरिया के लंबे सैन्य अनुभव को देखते हुए डिफेंस कॉरिडोर प्रोजेक्ट को बेहद लाभ होने की उम्मीद की जा रही है.
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41 साल का सैन्य अनुभव है एयर चीफ मार्शल भदौरिया को
63 वर्षीय एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया के पास करीब 41 साल का सैन्य अनुभव है. वे 30 सितंबर, 2019 से 30 सितंबर, 2021 तक देश के 23वें भारतीय वायुसेना प्रमुख रहे. उन्हें 15 जून, 1980 को वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में ऑफिसर के तौर पर कमीशन मिला था.
अपनी सेवा के दौरान उन्होंने 26 अलग-अलग तरह के फाइटर जेट व ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को करीब 4,250 घंटे तक उड़ाने का अनुभव हासिल किया है. अपनी लंबी सर्विस के दौरान वे देश के विभिन्न मोर्चों पर तैनात रहे हैं, इसके चलते उन्हें विभिन्न प्रकार के सैन्य हथियारों के साथ ही भारतीय सेना के तीनों विंगों की जरूरत को भी अच्छी तरह समझते हैं. भदौरिया के कार्यकाल में ही देश को राफेल फाइटर जेट (Rafale Fighter Jet) की फ्रांस से सप्लाई शुरू हुई थी, जिसे क्षेत्रीय संतुलन में बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला विमान माना जा रहा है.
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आगरा के रहने वाले हैं भदौरिया
एयर चीफ मार्शल भदौरिया उत्तर प्रदेश के ही आगरा जिले के मूल निवासी हैं. उनका पैतृक गांव कोराथ (Korath) जिले की बाह (Bah) तहसील में आता है. उनके पिता सूरज पाल सिंह भदौरिया भी भारतीय वायुसेना में मास्टर वारंट ऑफिसर रह चुके हैं. उनकी पत्नी आशा भदौरिया हैं, जबकि उनके दो बच्चे सोनाली सिंह व सौरभ भदौरिया हैं.
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उत्तर प्रदेश के 6 शहरों में बन रहा है डिफेंस कॉरिडोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर उत्तर प्रदेश के 6 शहरों में डिफेंस कॉरिडोर के तहत प्रोजेक्ट लगाए जा रहे हैं. इनमें लखनऊ, कानपुर, अलीगढ़, आगरा, झांसी और चित्रकूट शामिल हैं. इन शहरों में विदेशी कंपनियों को Make In India के तहत भारत में ही हथियार उत्पादन के लिए आमंत्रित किया जा रहा है.
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करीब 11,250 करोड़ रुपये की लागत से विकसित हो रहे इस कॉरिडोर के आगामी सालों में भारतीय रक्षा क्षेत्र की रीढ़ बनने की उम्मीद है, जिसके जरिए सरकार का टारगेट 'वैपन इंपोर्टर' से 'वैपन एक्सपोर्टर' बनने का है. इस कॉरिडोर में भारतीय सेना के लिए स्वदेशी हथियारों व उनसे जुड़े उपकरणों का उत्पादन किया जाएगा. साथ ही यहां बने हथियार व उपकरण दूसरे देशों को एक्सपोर्ट भी किए जाएंगे.
भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक है
बता दें कि भारतीय डिफेंस प्लान फिलहाल बहुत हद तक विदेशी हथियारों के आयात पर ही निर्भर है. SIPRI की Trends in International Arms Transfers, 2021 रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017 से 2021 के दौरान भारत ने दुनिया में सबसे ज्यादा हथियारों का आयात किया था. इस दौरान दुनिया के कुल हथियार आयात में भारतीय हिस्सेदारी करीब 11% की रही थी. हालांकि साल 2021 के दौरान भारत ने आयात से ज्यादा हथियारों का निर्यात किया. इस दौरान भारत ने करीब 13,000 करोड़ रुपये के हथियारों, उनसे जुड़े उपकरणों और सॉफ्टवेयर्स का निर्यात किया था. इस निर्यात का सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिका ने लिया था, जो खुद दुनिया का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक है.
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UP Defence Industrial Corridor में पूर्व वायुसेना प्रमुख भदौरिया को मिली ये खास जिम्मेदारी