डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फिरोजाबाद (Firozabad) से डॉक्टरी के पेशे का सम्मान तार-तार करने वाली एक अमानवीय घटना सामने आई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकारी मेडिकल कॉलेज (Firozabad Medical College) में 20 साल की एड्स पीड़ित गर्भवती महिला (HIV Positive pregnant woman) घंटों तक तड़पती रही, लेकिन मेडिकल स्टाफ ने उसे हाथ लगाने से इनकार (Refuse to Touch) कर दिया. करीब 6 घंटे बाद महिला ने एक लड़के को जन्म दिया, जिसकी बाद में मौत हो गई. इस घटना के बाद हंगामा खड़ा हो गया है. महिला के परिवार का आरोप है कि प्रि-बर्थ ट्रीटमेंट में देरी के कारण बच्चे की मौत हुई है. मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं.
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मजदूर थी महिला, निजी अस्पताल के लिए नहीं थे पैसे
Times of India की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित महिला मजदूरी करके अपना भरण-पोषण करती है. उसके पिता भी कांच की चूड़ी बनाने वाले कारखाने में मजदूरी करते हैं. उन्होंने कहा, निजी अस्पताल महिला की नॉर्मल डिलीवरी कराने के लिए 20,000 रुपये की मांग कर रहे थे. इतने पैसे हमारे पास नहीं थे. हमने नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (National AIDS Control Organization) के डिस्ट्रिक्ट फील्ड ऑफिसर से कांटेक्ट किया था. Naco ऑफिसर ने हमें सरकारी मेडिकल कॉलेज जाने के लिए कहा.
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दोपहर में पहुंचे मेडिकल कॉलेज, रात तक स्ट्रेचर पर रही महिला
पीड़िता के पिता ने बताया कि रविवार को दोपहर करीब 2.50 बजे हम उसे लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंच गए थे. मेरी बेटी स्ट्रेचर पर ही पड़ी रही और करीब 6 घंटे तक लेबर पेन से कराहती रही. कई बार गुहार लगाने के बाद भी किसी डॉक्टर ने उसकी मदद नहीं की. उन्होंने बताया कि टाइम बीतने के साथ ही दर्द बढ़ता चला गया.
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सीनियर डॉक्टरों के डांटने पर नर्स ले गई लेबर रूम में
पीड़िता के पिता के मुताबिक, करीब 6 घंटे बाद जब यह मामला सीनियर डॉक्टरों की जानकारी में आया तो उनके डांटने पर एक नर्स मेरी बेटी को लेबर रूम में लेकर गई. उसने एक नवजात बेटे को जन्म दिया, जिसे पैदा होने के समय से ही सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. स्टाफ ने हमें बच्चे के करीब भी नहीं जाने दिया और उसे स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट में लेकर चले गए. अगली सुबह हमें बताया गया कि बच्चे की मौत हो गई है.
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जबरन कागजों पर कराया साइन
पीड़ित के पिता का आरोप है कि अस्पताल स्टाफ ने उनसे जबरन एक लेटर पर साइन करा लिए, जिसमें लिखा था कि बच्चे की मौत में अस्पताल स्टाफ की कोई गलती नहीं है.
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क्या कह रहे हैं अफसर
रिपोर्ट के मुताबिक, मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल संगीता अनेजा ने कहा, महिला के परिवार की शिकायत पर इस मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं. नाको फील्ड ऑफिसर सरिता यादव ने कहा, मैं लगातार HIV पॉजिटिव महिला के संपर्क में हूं. उसका परिवार निजी अस्पताल में इलाज नहीं करा सकता था, इसलिए मैंने उन्हें मेडिकल कॉलेज भेजा था. वहां कोई भी हॉस्पिटल स्टाफ या डॉक्टर महिला के करीब नहीं आया. कई घंटे बाद मेरे आग्रह पर उसे मेडिकल सहायता दी गई. मैंने इस घटना के बारे में सीनियर अधिकारियों को बता दिया है.
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HIV Positive Woman से Firozabad में अस्पताल स्टाफ की अमानवीयता, नहीं कराई डिलीवरी, बच्चे की हुई मौत