डीएनए हिंदी: भाजपा (BJP) ने बुधवार को अपनी केंद्रीय चुनाव समिति (Central Election Committee) में भारी फेरबदल किया है. इस फेरबदल में जहां केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री (Shivraj Singh Chauhan) जैसे चेहरे बाहर हो गए हैं, वहीं कई नए चेहरों को शामिल किया गया है. इन्हीं में से एक नाम इकबाल सिंह लालपुरा (Iqbal Singh Lalpura) का भी है, जिन्हें पंजाब में भाजपा का सिख चेहरा माना जा रहा है.
लालपुरा वैसे तो केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग (National Commission for Minorities) के चेयरमैन हैं, लेकिन इससे पहले वे पंजाब (Punjab) को आतंकवाद के दौर से बाहर निकालने के लिए भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी के तौर पर की गई मेहनत के लिए भी पहचाने जाते हैं. खासतौर पर अपने करियर की एक ऐसी घटना के कारण वे बेहद फेमस हैं, जो उन्हें साहसी का तमगा दिलाती है.
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40 साल पहले बने थे भिंडरावाले को गिरफ्तार करने वाले अधिकारी
NDTV के मुताबिक, पंजाब में आतंकवाद के चरम दौर में सिख धर्मगुरु से टॉप उग्रवादी नेता बन गए जरनैल सिंह भिंडरावाले (Jarnail Singh Bhindranwale) के नाम का खौफ था. ऐसे दौर में लालपुरा उन 3 अधिकारियों में शामिल थे, जिन्होंने भिंडरावाले को गिरफ्तार किया था. यह गिरफ्तारी 40 साल पहले 1981 में सिखों और निरंकारी गुटों के बीच हुए संघर्ष के मामले में की गई थी.
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भिंडरावाले की शर्त थी, कोई सिख ही करे गिरफ्तार
दरअसल भिंडरावाले ने एक शर्त पर गिरफ्तार होने की सहमति दी थी कि कोई सिख अधिकारी ही उसे गिरफ्तार करे. इसके बाद सरकार ने लालपुरा और उनके साथ एक अन्य अधिकारी जरनैल सिंह चाहल (Jarnail Singh Chahal) को भिंडरावाले को गिरफ्तार करने के लिए भेजा था. इन दोनों अधिकारियों के साथ सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) बीएस भुल्लर (BS Bhullar) गए थे.
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बता दें कि जरनैल सिंह भिंडरावाले वही सिख धर्मगुरु थे, जिनके आतंकी हरकतों को बढ़ावा देने के कारण प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने अमृतसर (Amritsar) के पवित्र स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) में सेना को प्रवेश करने का आदेश दिया था. 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' (Operation Blue Star) के नाम वाले इस अभियान में सिख चरमपंथियों और सेना के बीच जबरदस्त गोलीबारी हुई थी और बहुत सारे लोग मारे गए थे. मरने वालों में भिंडरावाले भी शामिल थे. इस ऑपरेशन से सिख समुदाय में इंदिरा गांधी के खिलाफ माहौल बन गया था, जिसके बाद उनके ही सुरक्षाकर्मियों बेअंत सिंह (Beant Singh) और सतवंत सिंह (Satwant Singh) ने उनकी प्रधानमंत्री आवास में हत्या कर दी थी.
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2012 में भाजपा सदस्य बने थे लालपुरा
भिंडरावाले की गिरफ्तारी के अलावा इकबाल सिंह लालपुरा ने 1990 के दशक में पंजाब में आतंकवाद के चरमकाल के दौरान सीमावर्ती जिलों में कई अहम पदों पर काम किया. उन्होंने साल 2012 में Indian Police Service से रिटायर होने के बाद भाजपा जॉइन कर ली थी.
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चुनाव समिति में शामिल पर चुनावी रिकॉर्ड बढ़िया नहीं
लालपुरा को भले ही भाजपा ने अपनी केंद्रीय चुनाव समिति में सिख चेहरे के तौर पर जगह दी हो, लेकिन उनका चुनावी रिकॉर्ड बहुत बढ़िया नहीं है. वह इस साल की शुरुआत में पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी घरेलू सीट रूपनगर (Rupnagar Constituency) से आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट से चुनाव हार चुके हैं.
इसके बावजूद भाजपा उनके जरिए पंजाब के सिख समुदाय के बीच अपनी पैठ बनाने की जुगत लगा रही है, जहां पिछले साल कृषि कानूनों के मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के NDA से बाहर हो जाने के बाद वह अकेली रह गई है. हालांकि भाजपा ने चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh) की पार्टी के साथ गठबंधन किया था, लेकिन बुजुर्ग हो चुके अमरिंदर सिंह अब कितना साथ दे पाएंगे, इसे लेकर शक जताया जा रहा है.
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पिछले साल आगे बढ़ाया गया था लालपुरा को
पार्टी ने पंजाब में कदम जमाने के लिए ही पिछले साल 68 वर्षीय लालपुरा को आगे बढ़ाया था. पार्टी ने 2021 में जहां लालपुरा को अपना राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया, वहीं अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन बनाकर भी सिख समुदाय को संदेश देने की कोशिश की गई. हालांकि इसके बावजूद वह विधानसभा चुनाव में महज 8% वोट ही जुटा सके और AAP, Congress व अकाली दल के बाद चौथे नंबर पर रहे. हालांकि यह भाजपा को पंजाब में मिले 6.6% वोट से ज्यादा है.
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Iqbal Lalpura : केंद्रीय चुनाव समिति में भाजपा का सिख चेहरा, जानिए क्यों फेमस है यह पूर्व IPS