डीएनए हिंदी: देश में चीते लौट आए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के दिन ही जंगल में छोड़ भी दिए गए हैं. 70 साल बाद भारत लौटे चीतों के आगमन से हर कोई खुश दिख रहा है. भारत में चीतों को दोबारा से बसाने के लिए नामीबिया से 8 चीते लाए गए, जिन्हें मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में बसाया गया. चीतों के लिए खास इंतजाम किए गए हैं. बढ़िया बाड़ा बनाया गया है ताकि वो खुले जंगल में घूमने से पहले आसपास के माहौल में ठीक से ढल जाएं. चीते ना सिर्फ कूनो को और मध्य प्रदेश को एक नई पहचान देंगे बल्कि वो प्रदेश के इस हिस्से को भी जगमग बनाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे. ऐसा कैसे होगा, आइए जानते हैं.

चीतों के आगमन से जहां पहले ही कूनो में जमीनों के रेट बढ़ने लगे हैं. वहीं अब टूरिज्म भी जल्द ही तेजी से रफ्तार पकड़ने वाला है. कूनो के विकास से केंद्र और राज्य सरकार के खजाने में भी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी, क्योंकि जैसे ही जंगल सफारी फिर से शुरू होगी लाखों सैलानियों की भीड़ चीतों को देखने के लिए उमड़ सकती है. जंगल सफारी के जरिए सरकार की मोटी कमाई होने की संभावना है, क्योंकि सफारी करने के लिए परमिट लेना होता है, जिसमें बड़ा हिस्सा सरकार के पास जाता है. जब कि बाकी का हिस्सा जिप्सी वाले के पास.

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कब से शुरू हो रही है कूनो में सफारी

कूनो नेशनल पार्क में जो लोग सफारी करने के इंतजार में हैं, उनके लिए भी अच्छी खबर है, क्योंकि जंगल सफारी अब जल्द ही शुरू भी होने वाली है. बरसात की वजह से कूनो जून, जुलाई से सितंबर तक बंद रहता है और फिर अक्टूबर में एक बार फिर पार्क खुलता है. इस ऑफिशियल लिंक (https://www.kunonationalpark.org/tourist/safari-zone) पर जाकर आप सफारी बुकिंग करा सकते हैं. कूनो में अक्टूबर की सफारी बुकिंग आप 22 अगस्त, नवंबर के लिए बुकिंग 2 सितंबर से और दिसंबर 2022 के लिए 6 सितंबर से बुकिंग करा सकते हैं.

कैसे बढ़ेगी कमाई और रोजगार एक साथ

जिस तरह बांधवगढ़, जिम कॉर्बेट, रणथम्भौर और कान्हा जैसे टाइगर रिजर्व्स के आसपास रोजगार और कमाई दोनों बढ़ी है. उसी तरह टूरिज्म कूनो नेशनल पार्क का भी भाग्य बदलने वाला है. स्थानीय लोगों की सबसे ज्यादा मौज होने वाली है. क्योंकि उन्हें ना सिर्फ चीतों के आने से तरह-तरह का रोजगार मिलेगा, बल्कि उनकी जिन जमीनों को अभी तक कोई पूछ नहीं रहा था. अब उस पर बड़े-बड़े ऑफर आएंगे. लोग अपनी जमीने लीज पर देकर मोटी कमाई कर सकेंगे. साथ ही देश के प्रसिद्ध नेशनल पार्क्स और टाइगर रिजर्व्स में जिस तरह जिप्सी का बिजनेस फैला हुआ है, वैसा ही कूनो में भी करने को मिलेगा. जंगल सफारी के लिए इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों को अक्सर लोकल लोग ही चलाते हैं, क्योंकि जंगल के रास्तों की पहचान उन्हें ही होती है.

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लोगों को फायदा होने से सरकार को भी सीधा फायदा पहुंचेगा. सरकार टैक्स के रूप में तो टूरिज्म से होने वाली कमाई के रूप में अपना राजस्व बढ़ाएगी.

जयपुर में भी आई थी वाल्डलाइफ से बहार

कूनो को लेकर कमाई की जो बातें आज हम कर रहे हैं, उसका एक सटीक उदाहरण राजस्थान की राजधानी जयपुर में भी है. जहां तेंदुए तो थे, लेकिन उनके लिए रिजर्व जंगल नहीं था. तेंदुओं की बढ़ती आबादी को देखते हुए सरकार ने झालाना में जंगल सफारी शुरू की थी. जब से झालाना लेपर्ड सफारी शुरू हुई है यहां भी मौज ही मौज है. ये इसलिए भी खास थी क्योंकि जयपुर शहर के बीचों-बीच बसे इस जंगल में दूर-दूर से टूरिस्ट आते हैं और उस लेपर्ड को आराम से देख पाते हैं, जिसे जंगल में देख पाना वाकई एक कठिन काम है.

कुल मिलाकर बात ऐसी है कि जैसे कभी टाइगर के लिए कहा जाता था कि जिस इलाके से टाइगर गुजरा है, समझो उसकी किस्मत बदलने वाली है. वैसे ही अब चीतों के आने से कूनो के लिए भी कहा जाएगा.

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kuno national park safari booking date and time cheetah will bring money for govt and employment for locals
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Kuno National Park: चीते कराएंगे सरकार की कमाई और लोगों को बनाएंगे लखपति, जानें
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चीते कराएंगे सरकार की कमाई और लोगों को बनाएंगे लखपति! जानें कैसे होगा ये