भारत अपना 78वा स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है. पूरे देश के लोगों में आजादी के इस उत्सव को लेके भारी उत्साह भी देखा जा सकता है. वैसे तो 15 अगस्त को पूरे देश में ध्वजारोहण करके आजादी का उत्सव मनाते हैं. ये दिन उन तमाम स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का भी होता है जिन्होंने अपने देश को ब्रिटिश ताकत से आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस दिन लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं, तत्पश्चात देश को संबोधित करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है की आखिर प्रधानमंत्री ही 15 अगस्त को ध्वजारोहण और 26 जनवरी को राष्ट्रपति ध्वज क्यूं फहराते हैं.
ध्वजारोहण और झंडा फहराना में क्या अंतर है
हम सब के बचपन में 2 दिन बहुत ही खास होता था. 15 अगस्त और 26 जनवरी, दोनों दिन का ही इंतजार बेसब्री से रहता था. पूरा देश इस दिन सुबह से ही दूरदर्शन के सामने बैठा होता है, उन्हे इंतजार रहता है की कब प्रधानमंत्री लालकिले के प्राचीर से ध्वजारोहण करेंगे. वहीं, 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर कब राष्ट्रपति झंडा फहराएंगे.
15 अगस्त को होता है ध्वजारोहण
करीब 200 साल तक ब्रिटिश हुकूमत का दंश झेलने के बाद भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी. ये राह बिल्कुल भी आसान नहीं थी. न जाने कितने मां भारती के सपूतों ने इस आजादी को पाने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया. तभी से भारत में हर साल आजादी का उत्सव 15 अगस्त पूरे देश में मनाया जाता है. लालकिले के प्राचीर से प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं, और इस पूरे समारोह में झंडे को नीचे से रस्सी के सहारे ऊपर की ओर ले जाया जाता है, उसके बाद उसे फहराया जाता है, इसे Flag hoisting के नाम से भी जाना जाता है.
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26 जनवरी को फयराया जाता है झंडा
संविधान के जानकर बताते हैं की जब 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली थी उस समय भारत का अपना कोई आधिकारिक संविधान नहीं था. उसके बाद दो साल ग्यारह महीने और 18 दिन की कड़ी मेहनत के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत को अपना संविधान मिला. 26 जनवरी को होने वाले झंडारोहण को झंडा फहराना कहते हैं. गणतंत्र दिवस पर होने वाले समारोह में झंडा पहले से ऊपर बंधा रहता है उसे सिर्फ खोलकर फहराया जाता है, इसे Flag unfurling भी कहा जाता है.
सरकार के प्रमुख होने के नाते भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लालकिले से ध्वजारोहण किया था. उसी समय से ये परंपरा लगातार चली आ रही है. वहीं 26 जनवरी को देश अपना संविधान लागू होने का उपलक्ष्य मानता है, इस दिन संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं. आपको बताते चलें की 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर देश की संस्कृति और सैन्य ताकत का भी प्रदर्शन होता है.
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ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या है अंतर आज समझ ही लीजिये ...