लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में बिहार की 40 सीटों के नतीजे दिल्ली की सत्ता का फैसला करने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है. पिछले चुनाव में यहां से कांग्रेस को सिर्फ एक ही सीट पर जीत मिली थी और वो किशनगंज की सीट थी. कांग्रेस ने एक बार फिर सिटिंग एमपी मोहम्मद जावेद को ही अपना उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस के लिए यह अब तक एक सेफ सीट की तरह रही है और 2014 में भी मोदी लहर का असर यहां नहीं नजर आया था. इस बार कैसे समीकरण बन रहे हैं समझें यहां.
AIMIM की वजह से बिगड़ सकता है कांग्रेस का खेल
किशनगंज की यह सीट लोकसभा चुनाव की सबसे हॉट सीट में से एक बन चुकी है. पिछली बार यहां एआईएमआईएम के उम्मीदवार अख्तरुल ईमान को 2,95,029 वोट मिले थे. सिंटिंग एमपी मोहम्मद जावेद महज 34,000 वोटों से ही जीतने में कामयाब रहे. इस साल भी सीमांचल की इस सीट पर एआईएमआईएम ने अपना उम्मीदवार उतारा है. ऐसे में कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगने की आशंका है. जेडीयू ने यहां से मुजाहिद आलम को उम्मीदवार बनाया है.
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किशनगंज से एनडीए को नहीं मिली कामयाबी
किशनगंज के वोट बैंक की बात करें, तो यहां मुस्लिम आबादी की संख्या करीब 68 फीसदी है. हिंदू आबादी में पिछड़ा वर्ग, ओबीसी और सवर्णों की मिली-जुली तादाद है. किशनगंज पश्चिम बंगाल से सटा हुआ है और यहां की राजनीति बंगाल के समीकरणों से भी प्रभावित होती रही है. इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा सीटें भी हैं. 6 में से 3 विधायक आरजेडी के, 2 कांग्रेस के और एक एआईएमआईएम के विधायक हैं. एनडीए के लिए अब तक यह एक अभेद्य किला जैसा है.
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किशनगंज में कांग्रेस अपना गढ़ बचाएगी या बीजेपी करेगी उलटफेर?