डीएनए हिंदी: तेलंगाना की सत्तारूढ़ पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम अब भारत राष्ट्र समिति (BRS) कर दिया गया है. के चंद्र शेखर राव ने राष्ट्रीय राजनीति में अब औपचारिक तौर पर एंट्री ले ली है. साल 2019 से ही वजह लगातार थर्ड फ्रंट के तौर पर खुद को स्थापित करना चाहते थे, उन्होंने इस मिशन के लिए पार्टी का नाम लेकिन अब बदला है. पार्टी की महत्वपूर्ण आम सभा बैठक में यह फैसला लिया गया. पार्टी मुख्यालय में आयोजित बैठक के दौरान नाम बदलने के संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया गया है. इस सभा में पार्टी के नेता, मंत्री, सांसद, विधायक, एमएलसी और कई जिला-स्तरीय समन्वयक भी मौजूद हे. 

पार्टी अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने प्रस्ताव पढ़ा और घोषणा की कि पार्टी की आम सभा की बैठक में सर्वसम्मति से टीआरएस का नाम बदलकर बीआरएस करने का संकल्प लिया गया. इस घोषणा के बाद पार्टी मुख्यालय के बाहर जुटे कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया. अब केसीआर ने साफ कर दिया है कि वह राष्ट्रीय राजनीत में एंट्री लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

KCR ने बदला TRS का नाम, अब 'भारत राष्ट्र समिति' के नाम से पहचानी जाएगी पार्टी

तेलंगाना राष्ट्र समिति साल 2000 में अस्तित्व में आई थी. तब से ही केसीआर खुद को राष्ट्रीय स्तर पर लाने की छटपटाहट में नजर आ रहे थे. इस अवसर पर, 280 से अधिक पार्टी कार्यकारी सदस्यों, विधायकों और सांसदों ने टीआरएस को भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) में विलय करने का प्रस्ताव पारित किया. केसीआर जल्द ही अपनी भविष्य की योजनाओं और राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका के बारे में भी घोषणा करने वाले हैं.

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दक्षिण भारत को लामबंद करना चाहते हैं केसीआर

भारत राष्ट्र समिति पार्टी के लॉन्च प्रोग्राम में शामिल हो के लिए जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी बी तेलंगाना पहुंचे थे. दलित नेता थिरुमावलवन सहित तमिलनाडु के विदुथलाई चिरुथिगाल काची (वीसीके) के दो सांसद भी मौजूद थे. केसीआर अब दक्षिण भारतीय पार्टियों को एकजुट करने की कोशिशों में जुट गए हैं. केसीआर के समर्थकों का कहना है कि भारत राष्ट्र समिति ऐसा दल होगा जो क्षेत्रीय दलों के साथ लड़ेगा और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ राष्ट्रीय फलक पर खुद को स्थापित करेगा. ये दल अपने राजनीतिक मतभेदों को भूलकर बीजेपी के खिलाफ रणनीति तैयार करेंगे.

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केसीआर.

मिशन 2024 पर हैं केसीआर की निगाहें

भारत राष्ट्र समिति के सूत्रों का कहना है कि 2024 के चुनावों के लिए अलग-अलग राज्यों में बीजेपी और एनडीए गठबंधन के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारेगी. केसीआर ने हाल ही में नीतीश कुमार से भी मुलाकात की थी. कांग्रेस से अलग एक तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद में जुटी पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश केसीआर कर रहे हैं. अब अगर तीसरा मोर्चा अस्तित्व में आता है तो देखने वाली बात यह होगी कि प्रधानमंत्री का चेहरा किसे घोषित किया जाता है. केसीआर की महत्वाकांक्षाएं देखकर तो यही लग रहा है कि वह अब अपनी पार्टी का तेलंगाना से बाहर भी विस्तार चाहते हैं.

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केसीआर.

कितने होंगे कामयाब?

केसीआर की कोशिश नई नहीं है. इससे पहले ममता बनर्जी भी खुद को राष्ट्रीय फलक पर लाने की कोशिशें कर चुकी हैं. साल 2019 के लोकसभा चुनावों में ममता बनर्जी ने पार्टी विस्तार की कोशिश की थी. 2022 में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने कुछ जगहों पर अपनी ताकत आजमाने की कोशिश की थी. नतीजे उनके पक्ष में नहीं गए थे. वह भी पश्चिम बंगाल तक सिमट गई थीं. केसीआर की छवि भी हिंदी भाषी क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर के नेता की नहीं है. दक्षिण भारतीय राज्यों में भी क्षेत्रीय पार्टियों का वर्चस्व है. ऐसे में उन्हें उनके पड़ोसी राज्यों में ही उन्हें कड़ी चुनौती मिलने वाली है. राष्ट्रीय राजनीति में उनकी राह, इतनी भी आसान नहीं है.

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KCR launches national party TRS is now Bharat Rashtra Samithi Mission 2024 Election against BJP NDA
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मिशन 2024 पर KCR की निगाहें, पार्टी का बदला नाम, बनाया भारत राष्ट्र समिति
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KCR का मिशन 2024, भारत राष्ट्र समिति नाम से दिया बड़ा संदेश, समझें पूरी रणनीति